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सीमा पर कई मोर्चों से युद्ध का खतरा, मुकाबले के लिए एयरफोर्स को और मजबूत करने की जरूरत- वायुसेना प्रमुख

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भारतीय वायुसेना प्रमुख वी आर चौधरी ने एयरफोर्स को और मजबूत करने की जरूरत बताई है. उन्होंने कहा कि कई मोर्चों पर खतरा हमेशा बना रहता है. इसलिए एक समय में दो मोर्चों को संभालने के लिए भारतीय वायुसेना की क्षमता को विभिन्न प्लेटफार्मों पर मजबूत करना होगा. इसके लिए हमें और अधिक रडार, एसएजीडब्ल्यू सिस्टम की जरूरत होगी और ये सभी स्वदेशी स्रोतों से आएंगे.

वी आर चौधरी ने कहा कि, विमान के मुद्दे पर हम अब से कुछ साल बाद एडवांस मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट, हल्के लड़ाकू विमान से आगे देख रहे हैं. वहीं 114 मल्टी रोल फाइटर एयरक्राफ्ट के मामले में भी अच्छी प्रगति देखने को मिल रही है. ये विमान न केवल भारतीय वायुसेना को मजबूत करेगा बल्कि भारतीय विमानन उद्योग को भी इससे बढ़ावा मिलेगा. एडवांस मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट के लिए हमने 7 स्क्वॉड्रन को प्रतिबद्ध किया है. फिलहाल एलसीए मार्क-II को लेकर नंबर पर फैसला तब किया जाएगा जब पहला प्रॉडक्शन मॉडल आएगा.

इससे पहले भी एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी कहा था कि भारत को अस्थिर पश्चिमी और उत्तरी सीमा पर मौजूद स्थिति को ‘‘दो मोर्चों’’ के तौर पर देखना चाहिए और उसी के अनुरूप तैयारी करनी चाहिए. क्योंकि भविष्य में भारत पर सभी मोर्चों से हमला हो सकता है. दरअसल इन दोनों सीमाओं पर चीन और पाकिस्तान भारत के प्रतिद्वंद्वी हैं.

उन्होंने चीन और पाकिस्तान के दोहरे सैन्य खतरे से उत्पन्न होने वाली संभावित चुनौतियों का हवाला देते हुए कहा था, भविष्य में भारत पर सभी मोर्चों से हमला हो सकता है, जिसमें सैन्य गतिरोध से लेकर दुष्प्रचार और ब्लैकआउट तक शामिल है. ऐसे में भारत के सुरक्षा सिद्धांत और क्षमताओं को इन आशंकाओं का मुकाबला करने में सक्षम होना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘‘वायुसेना लगातार संबंधित पहलुओं पर काम कर रही है, ताकि इन चुनौतियों से निपटा जा सके. दरअसल देश को तेजी से बदलते भू-राजनीतिक हालात और चीन द्वारा एलएसी पर दीर्घकालिक सैन्यीकरण की रणनीति के मद्देनजर वृहद सुरक्षा ढांचा बनाने की जरूरत है.

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