रेटिंग एजेंसी क्रिसिल (CRISIL) ने वित्त वर्ष् 2023 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी (GDP) अनुमान को घटा दिया है. रेटिंग एजेंसी ने कच्चे तेल के दामों में उछाल, एक्सपोर्ट में गिरावट और बढ़ती महंगाई के चलते देश की जीडीपी ग्रोथ रेट के अनुमान को 7.8 फीसदी से घटाकर 7.3 फीसदी कर दिया है. क्रिसिल के मुताबिक 2022-23 में महंगाई दर 6.8 फीसदी रह सकती है. लू के कारण घरेलू फूड प्रोडक्शन में कमी, इनपुट कॉस्ट में बढ़ोतरी और कमोडिटी की ऊंची अंतरराष्ट्रीय कीमतें भारत मे महंगाई बढ़ने के प्रमुख कारण हैं.
क्रिसिल का कहना है कि कमोडिटी के दामों में उछाल, माल भाड़े में तेजी, वैश्विक विकास दर के अनुमान में गिरावट के चलते घटते एक्सपोर्ट और निजी उपभोग में कमी जैसे कई नकारात्मक पहलुओं का सामना भारतीय अर्थव्यवस्था को करना पड़ रहा है. रेटिंग एजेंसी का कहना है कि अकेला भारत ही इन परेशानियों से नहीं जूझ रहा है बल्कि इनका असर पूरे विश्व पर है.
बढ़ सकती है महंगाई
क्रिसिल (CRISIL) के मुताबिक 2022-23 में महंगाई दर 6.8 फीसदी रह सकती है. महंगाई ज्यादा रहने से लोगों की क्रय शक्ति घटेगी और इसका सीधा असर अर्थव्यवस्था पर होगा. एजेंसी के मुताबिक भीषण गर्मी के चलते खाद्यान्न उत्पादन में कमी और कमोडिटी के दामों में उछाल से लागत बढ़ेगी जो महंगाई को बढ़ाने में सबसे ज्यादा योगदान देगा
चालू खाता घाटे में तेजी
रेटिंग एजेंसी ने चालू खाते के घाटे में तेजी की आशंका भी जाहिर की है. इससे डॉलर के मुकाबले रुपये पर दवाब बनेगा. क्रिसिल (CRISIL) के मुताबिक कच्चा तेल इस वर्ष 105 से 110 डॉलर प्रति बैरल के बीच रह सकता है. जो बीते साल के मुकाबले 35 फीसदी ज्यादा है.
कमोडिटी की कीमतें नहीं होंगी कम
क्रिसिल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि रूस-यूक्रेन जंग के खत्म होने के संकेत नहीं दिख रहे हैं. इस जंग के चलते कमोडिटी मार्केट में जो तेजी आई वो फिलहाल कम नहीं होगी. हाल के के दिनों ढुलाई लागत में कुछ कमी जरूर आई है, लेकिन यह युद्ध के पहले के स्तर से अब भी ऊंची है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था रूस-यूक्रेन जंग के असर को आत्मसात कर लिया है और अब इसमें इसके अधिक और गिरावट की उम्मीद कम है.