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शेयर बाजार पर भारी पड़ सकता है RBI का फैसला, छोटे निवेशक बना सकते हैं दूरी, डिप्‍टी गवर्नर ने क्‍या दी चेतावनी?

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महंगाई को थामने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के सख्‍त नीतिगत फैसले शेयर बाजार पर भारी पड़ सकते हैं. आरबीआई कि डिप्‍टी गवर्नर माइकल डी पात्रा ने इस बारे में निवेशकों को चेतावनी दी है.

मनीकंट्रोल के अनुसार, पात्रा ने कहा कि महंगाई को काबू में लाने के लिए अभी ब्‍याज दरों में और बढ़ोतरी हो सकती है. रिजर्व बैंक के अगले कुछ नीतिगत फैसले दर्द देने वाले होंगे, जो खासतौर से शेयर बाजार पर असर डालेंगे. अभी तक आरबीआई दो महीने के भीतर 0.90 फीसदी रेपो रेट बढ़ा चुका है और मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक में भी रेपो रेट में बढ़ोतरी की गुंजाइश देखी जा रही है.

पात्रा ने बताया दोहरा जोखिम
डिप्‍टी गवर्नर ने कहा कि आरबीआई के फैसलों से शेयर बाजार पर दोहरा जोखिम पैदा होगा, जिससे छोटे व खुदरा निवेशक कुछ समय के लिए दूरी बना सकते हैं. ब्‍याज दरें बढ़ाने से आर्थिक वृद्धि पर असर होगा और कंपनियों की कमाई भी घट जाएगी. इससे शेयर बाजार में भी उनके प्रदर्शन पर असर पड़ेगा. दूसरी ओर, रेपो रेट के साथ ही बैंकों के एफडी की ब्‍याज दरों में भी इजाफा होगा जो खुदरा निवेशकों का बाजार से मोहभंग करा सकता है. निवेशक जोखिम उठाने के बजाए बैंकों की एफडी व अन्‍य छोटी बचत योजनाओं में निवेश कर सकते हैं.

महंगाई में कमी और ब्‍याज बढ़ने से बाजार पर असर
निवेशक अपने शुद्ध रिटर्न के लिए महंगाई और ब्‍याज दरों की तुलना करते हैं. महामारी के समय दुनियाभर में बचत की ब्‍याज दरें काफी कम हो गईं थी, जबकि महंगाई ने लगातार बढ़त बनाई. इससे निवेश पर वास्‍तविक रिटर्न निगेटिव हो गया था. इस निगेटिव रिटर्न ने भारत ही नहीं दुनियाभर के निवेशकों को शेयर बाजार की तरफ जाने के लिए प्रोत्‍साहित किया और उन्‍होंने ज्‍यादा रिटर्न के लिए जोखिम उठाया.

अब जबकि महंगाई दर नीचे आ रही है और ब्‍याज दरों में लगातार बढ़ोतरी की जा रही है तो निवेशकों को अपनी बचत पर शुद्ध रिटर्न भी पॉजिटिव मिलने लगेगा. ऐसे में वे जोखिम उठाने के बजाए बाजार से निकलकर एफडी व सरकारी बचत योजनाओं में निवेश के लिए देखेंगे.

छोटी निवेशकों की बाजार में बड़ी भागीदारी
भारतीय शेयर बाजार के लिए छोटे निवेशक बड़े सहारे के रूप में उभरे हैं. महामारी के बाद जहां विदेशी निवेशकों का बाजार से मोहभंग हुआ है, वहीं घरेलू निवेशकों ने ताबड़तोड़ पैसे लगाए हैं. बाजार से मिले आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी निवेशकों ने पिछले 9 महीने में ही बाजार से करीब 3 लाख करोड़ रुपये निकाल लिए हैं. हालांकि, महामारी के बाद से खुदरा निवेशकों ने बाजार में 3 लाख करोड़ रुपये से ज्‍यादा निवेश किया है. इतना ही नहीं पिछले दो साल में डीमैट खातों की संख्‍या भी दोगुनी बढ़कर 9.5 करोड़ के आसपास पहुंच गई है. ये आंकड़े बताते हैं कि छोटे निवेशकों की मौजूदा शेयर बाजार में बड़ी भागीदारी है, जो आरबीआई के फैसलों के बाद घट सकती है.

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