गत 13 मई को गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद भारत ने बांग्लादेश और अफगानिस्तान सहित करीब एक दर्जन देशों को 18 लाख टन खाद्यान्न का निर्यात किया है. केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने यह जानकारी देते हुए कहा है कि 50,000 टन निर्यात की प्रतिबद्धता के तहत अफगानिस्तान को मानवीय सहायता के रूप में लगभग 33,000 टन गेहूं की आपूर्ति की जा चुकी है.
पांडेय ने गत शुक्रवार को जर्मनी के बर्लिन में ‘वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए एकता’ पर आयोजित एक मंत्रिस्तरीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत ने हमेशा दुनिया की जरूरतों को ध्यान में रखा है. पांडेय ने कहा कि भारत ने अपनी 1.38 अरब आबादी की खाद्य जरूरतों को पूरा करने के साथ ऐसा किया है.
खाद्यान्न की कमी वाले देशों की जरूरतों को पूरा करने की प्रतिबद्धता
सचिव ने कहा, ‘‘यहां यह बताना महत्वपूर्ण है कि भारत सरकार द्वारा हाल ही में गेहूं के निर्यात को नियमित करने का फैसला घरेलू उपलब्धता के साथ ही कमजोर देशों में उपलब्धता की रक्षा के लिए लिया गया था, जिनकी आपूर्ति बाजार की ताकतों द्वारा सुनिश्चित नहीं की जा सकती.’’ उन्होंने कहा कि भारत ने सरकार-से-सरकार व्यवस्था के जरिए पड़ोसी देशों और खाद्यान्न की कमी वाले देशों की वास्तविक जरूरतों को पूरा करने की अपनी प्रतिबद्धता को कायम रखा है. इसके अलावा पहले से की गई आपूर्ति प्रतिबद्धताओं को भी पूरा किया गया.
चालू वित्त वर्ष में 22 जून तक 18 लाख टन गेहूं का निर्यात
उन्होंने बताया कि विनियमन के बाद चालू वित्त वर्ष में 22 जून तक 18 लाख टन गेहूं का निर्यात अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, इजराइल, इंडोनेशिया, मलेशिया, नेपाल, ओमान, फिलीपींस, कतर, दक्षिण कोरिया, श्रीलंका, सूडान, स्विट्जरलैंड, थाईलैंड, यूएई, वियतनाम और यमन सहित विभिन्न देशों को किया गया.