मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में कार्यभार संभालने के तुरंत बाद, राजीव कुमार (CEC Rajiv Kumar) ने कानून मंत्रालय को पत्र लिखकर मतदाता पहचान पत्र को आधार कार्ड के साथ जोड़ने (Linking of Voter ID with Aadhaar) के लिए अधिसूचना जारी करने का अनुरोध किया था. द इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक चीफ इलेक्शन कमिश्नर ने केंद्र सरकार को लोगों को मतदाता के रूप में पंजीकरण कराने के लिए 4 तिथियां निर्धारित करने, एग्जिट और ओपिनियन पोल पर प्रतिबंध लगाने और उम्मीदवार के सिर्फ एक सीट से चुनाव लड़ने का नियम बनाने को लेकर भी प्रस्ताव भेज चुके हैं.
चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि, ‘चुनाव आयोग ने कानून मंत्रालय को 6 अहम प्रस्ताव भेजे हैं. हमने सरकार से अनुरोध किया है कि आधार को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ने और पात्र लोगों को मतदाता के रूप में पंजीकृत होने के लिए 4 कट-ऑफ तिथियों के नियम को अधिसूचित किया जाए.’ दिसंबर 2021 में, राज्यसभा ने चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 को ध्वनि मत से पारित किया, था, जिसके बाद आधार के साथ मतदाता पहचान पत्र को लिंक करने का रास्ता साफ हो गया था. विपक्ष ने इस बिल के विरोध में सदन से वॉकआउट किया था. विपक्षी दलों का आरोप था कि केंद्र सरकार ने बिना पर्याप्त चर्चा के जल्दबाजी में इस विधेयक पारित कर दिया.
EC ने राजनीतिक दलों का पंजीकरण रद्द करने का अधिकार भी मांगा
रिपोर्ट के मुताबिक चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों का पंजीकरण रद्द करने का अधिकार भी मांगा है और 20,000 रुपये के बजाय 2,000 रुपये से ऊपर के सभी चुनावी चंदे के बारे में जानकारी सार्वजनिक करना अनिवार्य करने के लिए फॉर्म 24ए में संशोधन की मांग की है. यह पिछले महीने ‘पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों’ (RUPPs) के खिलाफ आयोग की कार्रवाई की पृष्ठभूमि में भी आता है. चुनाव आयोग ने नियमों की धज्जियां उड़ाने के लिए 2100 से अधिक आरयूपीपी के खिलाफ ‘ग्रेडेड एक्शन’ शुरू करते हुए एक सफाई अभियान की घोषणा की थी.
ऐसी पार्टियां जो चुनाव आयोग के सामने योगदान रिपोर्ट प्रस्तुत करने में विफल रही हैं, या अपने नाम, कार्यालय, पदाधिकारियों और आधिकारिक पते में किसी भी बदलाव के बारे में आयोग सूचित नहीं किया है, उनका पंजीकरण रद्द किया जा रहा है. जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 (Representation of the People Act, 1951) की धारा 29ए चुनाव आयोग को संघों और निकायों को राजनीतिक दलों के रूप में पंजीकृत करने का अधिकार देती है. हालांकि, ऐसा कोई संवैधानिक या वैधानिक प्रावधान नहीं है जो चुनाव आयोग को पार्टियों का पंजीकरण रद्द करने की शक्ति देता है.
ओपिनियन और एग्जिट पोल के प्रसारण पर प्रतिबंध लगे
चुनाव आयोग ने 2016 में प्रस्तावित चुनावी सुधारों की अपनी पुस्तिका में उल्लेख किया था, ‘कई राजनीतिक दल पंजीकृत हो जाते हैं, लेकिन कभी चुनाव नहीं लड़ते। ऐसी पार्टियां सिर्फ कागजों पर होती हैं. आयकर छूट का लाभ लेने पर नजर रखने के लिए राजनीतिक दल बनाने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है. यह तर्कसंगत होगा कि जिसके पास राजनीतिक दलों को पंजीकृत करने की शक्ति है, उसी के पास उपयुक्त मामलों में राजनीतिक दलों का पंजीकरण रद्द करने का भी अधिकार हो.’ चुनाव आयोग ने एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल पर प्रतिबंध लगाने की भी सिफारिश की है, जिसके मुताबिक चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद से लेकर उसके संपन्न होने तक ओपिनियन और एग्जिट पोल के प्रसारण पर प्रतिबंध होना चाहिए.