पिछले कुछ दशकों से भारत और चीन के बीच हमेशा तल्खी बनी रहती है. गलवान घाटी में दोनों देशों की सेनाओं के बीच हुई जबर्दस्त झड़प के बाद दोनों देशों का संबंध एकदम निचले स्तर पर आ गया था. लेकिन यूक्रेन और रूस युद्ध के मद्देनजर चीन और भारत का रुख एक जैसा ही रहा है. हालांकि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दोनों देशों के बीच अब भी तनाव व्याप्त है, लेकिन चीन ने श्रीलंका के मुद्दे पर भारत की तारीफों के पुल बांधे हैं.
हम भारत के साथ काम करने को तैयार
दरअसल, श्रीलंका को भारी आर्थिक संकट से निकालने में भारत ने दिल खोलकर पड़ोसी का धर्म निभाया है जिसकी दुनिया भर में तारीफ हो रही है. अब चीन भी भारत के इस प्रयास का मुरीद हो गया है. एक सवाल के जवाब में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजान (Zhao Lijian) ने कहा, “जिस तरह से श्रीलंका में ईंधन और आवश्यक सामानों की भारी किल्लत हो गई थी, उसमें भारत ने शानदार प्रयास किया है.” झाओ लिजियान ने कहा, “श्रीलंका के संकट को कम करने में हम भारत के प्रयासों की सराहना करते हैं.”
उन्होंने कहा, “हमने नोटिस किया है कि भारत सरकार ने इस दिशा में श्रीलंका के लिए बहुत कुछ किया है. हम इन प्रयासों की सराहना करते हैं.” उन्होंने कहा, “चीन श्रीलंका और अन्य विकासशील देशों को ऐसी कठिन परिस्थितियों में मदद पहुंचाने के लिए भारत और अन्य अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ काम करने के तैयार है.”
चीन ने मांगने पर नहीं दिया लोन
हाल ही में श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने चीन की ओर निराशा का भाव प्रकट करते हुए कहा था चीन से हमें 1.5 अरब डॉलर की क्रेडिट लाइन भी नहीं मिल सकी. दूसरी ओर हमने 1 अरब डॉलर लोन देने का भी चीन से अनुरोध किया था, लेकिन यह भी नहीं मिला. उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि चीन ने अपना रणनीतिक ध्यान दक्षिण पूर्व एशिया और अफ्रीका में स्थानांतरित कर दिया है. अब चीन की दक्षिण एशिया में शायद ही रुचि है.
गोटाबाया के इस बयान पर जब प्रवक्ता से सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, “चीन श्रीलंका में आई चुनौतियों को महसूस करता है. हमने इस ओर ध्यान भी दिया है. चीन ने 50 करोड़ चीनी मुद्रा तत्काल मानवीय सहायता के रूप में श्रीलंका को देने का फैसला किया है.”
भारत ने दिल खोलकर श्रीलंका को दी मदद
दूसरी ओर भारत ने पड़ोसी धर्म का पालन करते हुए दिल खोलकर मदद की है. श्रीलंका भारी आर्थिक संकट से गुजर रहा है. वह दिवालिया हो गया है. उसके पास खाना-पानी और पेट्रोल-डीजल की भी भारी किल्लत हो गई है. भारत ने यह सब मुहैया कराया है. श्रीलंका को इस साल 8 अरब डॉलर कर्ज की किश्त के रूप में लौटाना है. भारत ने पड़ोसी पहले की नीति का पालन करते हुए सबसे पहले 25 टन मेडिकल सामग्री भेजी. इसके बाद पिछले दो महीने में करीब 37 करोड़ रुपये मूल्य की सिर्फ दवाई दान में दे दी है. इसके अलावा अब तक भारत ने 3.5 अरब डॉलर से ज्यादा आर्थिक मदद दी है. इसके अलावा हजारों टन चावल, गेंहू, मिल्क पाउडर, किरोसिन, पेट्रोल आदि भेजा है.