Home मुख्यमंत्रियों की खबरें/राज्यों की खबरें वनवासी कल्याण आश्रम के कार्य सराहनीय: डॉ. रमन सिंह

वनवासी कल्याण आश्रम के कार्य सराहनीय: डॉ. रमन सिंह

556
0

रायपुर, मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के कार्यकर्ताओं के राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन कार्यक्रम में शामिल हुए, रोहिणीपुरम स्थित शबरी आश्रम के सभागृह में सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के आदिवासी बहुल वन क्षेत्रों में ग्रामीणों और विशेष रूप से अनुसूचित जनजातियों के सामाजिक-आर्थिक-शैक्षणिक विकास के लिए वनवासी कल्याण आश्रम के कार्यकर्ता समर्पित होकर काम कर रहे हैं। आश्रम के कार्य निश्चित रूप से सराहनीय हैं। उनके सेवा प्रकल्पों से वन क्षेत्रों की नई पीढ़ी में शिक्षा के प्रति जागरूकता आयी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ में हम सबके लिए यह खुशी की बात है कि राष्ट्रीय स्तर की इस समाजसेवी संस्था की स्थापना राज्य के आदिवासी बहुल जशपुर जिले में वर्ष 1952 में हुई और धीरे-धीरे देश के कोने-कोने में इसका विस्तार हो गया। यह सब आश्रम के कार्यकर्ताओं की मेहनत से ही संभव हो पाया है। इसका वनवासी क्षेत्र सहित देश की प्रगति में प्रमुख भूमिका है। यह जनजातीय समाज को जोड़ने का सेतु और केन्द्र बिन्दु का काम भी करता है। इस आश्रम के वनवासी क्षेत्र में किए गए कार्यों के कारण एक अभूतपूर्व परिवर्तन परिलक्षित हो रहा है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री होने के नाते का एक परिचय देना चाहता हूं। छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण हुए सत्रह वर्ष होने जा रहा है। पहले इसे एक पलायन करने वाला राज्य माना जाता था, मगर आज छत्तीसगढ़ तेजी से विकसित होने वाले राज्यों की श्रेणी में शामिल है। आज प्रदेश के प्रति व्यक्ति आय 80 हजार से भी अधिक हो गई है। यहां देश का 26 प्रतिशत लोहा 35 प्रतिशत एल्यूमिनियम और 18 प्रतिशत लौह अयस्क उत्पादन होता है। यह देश का पावर हब है। यहां किसी भी प्रकार की बिजली कटौती नही होती। उन्होंने कहा कि किसी भी विकसित देश, प्रदेश की पहचान प्रति व्यक्ति ऊर्जा की खपत से होती है। छत्तीसगढ़ इस मामले में देश का अग्रणी राज्य है, जहां बिजली की प्रति व्यक्ति औसत वार्षिक खपत 650 यूनिट से बढ़कर 1750 यूनिट पहुंच गई है, जो राष्ट्रीय औसत से भी अधिक है। राज्य सरकार द्वारा वन क्षेत्रों के निवासियों की बेहतरी के लिए कई योजनाएं संचालित की जा रही हैं। राज्य शासन द्वारा वनवासी इलाकों में शिक्षा, चिकित्सा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किए जा रहे हैं। बस्तर में नक्सलियों द्वारा कई स्कूल भवन नष्ट कर दिए गए थे। वहां के बच्चों को पढ़ाई में असुविधा न हो इसके लिए हमने प्रभावित जिलों में आवासीय विद्यालय के रूप में पोटा केबिन स्कूलों की स्थापना की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिला खनिज न्यास की राशि से दंतेवाड़ा, बीजापुर के अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति की गई है। नक्सल हिंसा पीड़ित जिलों के 11वीं-12वीं के बच्चों के लिए मुख्यमंत्री बाल भविष्य सुरक्षा योजना के तहत सभी पांच संभागीय मुख्यालयों में प्रयास आवासीय विद्यालयों की स्थापना की गई है, जहां बच्चों को नियमित पढ़ाई के साथ-साथ मेडिकल और इंजीनियरिंग की प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए निःशुल्क कोचिंग दी जा रही है। प्रयास विद्यालयों के कई बच्चों का चयन आईआईटी जैसे उच्च तकनीकी शिक्षा संस्थानों में हुआ है। इस अवसर पर अखिल भारतीय वनवासी कल्याण के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगदेव उरांव और छत्तीसगढ़ उरांव समाज के प्रमुख श्री बिन्देश्वर जगत ने भी सम्मेलन को सम्बोधित किया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here