बाजार कीमतों से काफी कम दाम पर रूसी तेल का सामान्य से अधिक आयात किए जाने से सार्वजनिक क्षेत्र की खुदरा पेट्रोलियम कंपनियों फायदा होगा. निकट अवधि में उनकी वर्किंग कैपिटल की जरूरत में कमी आ सकती है. रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने मंगलवार को यह कहा.
खुदरा पेट्रोलियम कंपनियों इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) ने पिछले कुछ महीनों में पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस एलपीजी के खुदरा बिक्री मूल्य में लागत के हिसाब से बदलाव नहीं किए हैं. वे ईंधन विपणन पर नुकसान उठाती हैं और इसकी भरपाई सस्ते रूसी कच्चे तेल के प्रसंस्करण से हासिल होने वाले उच्च रिफाइनरी मार्जिन से कर रही हैं.
रिफाइनिंग मार्जिन बढ़ा
फिच ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि बढ़ती वैश्विक मांग और रिफाइंड उत्पादों के लिए आपूर्ति में कमी आने से रिफाइनिंग मार्जिन को समर्थन मिलता है और तेल कंपनियों के विपणन मार्जिन में क्रमिक सुधार होता है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, ‘बाजार कीमतों पर मिल रही खासी छूट पर रूसी तेल का सामान्य से अधिक आयात करना तेल विपणन कंपनियों के लिए निकट अवधि की कार्यशील पूंजी की जरूरतों को कम कर सकता है.’
क्रूड पर निर्भर रहेगी खुदरा कीमत
रेटिंग एजेंसी ने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि भारत में पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतें मध्यम अवधि में कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव के अनुरूप रहेंगी. इससे तेल विपणन कंपनियों के विपणन मार्जिन में वित्त वर्ष 2022-23 के बाकी समय में धीरे-धीरे सुधार होना चाहिए, भले ही यह सामान्य स्तर से कम हो.’