रेटिंग एजेंसी इक्रा का मानना है कि बीते वित्त वर्ष 2021-22 की चौथी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर गिरकर 3.5 प्रतिशत रह सकती है. जबकि दिसंबर तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 5.4 प्रतिशत रही थी.
इक्रा रेटिंग्स ने सोमवार को जनवरी-मार्च 2022 तिमाही के बारे में जारी अपने अनुमान में कहा कि जिंसों के दाम बढ़ने से मार्जिन पर आए असर, गेहूं की पैदावार में गिरावट आने और तुलनात्मक आधार ऊंचा होने से जीडीपी वृद्धि दर 3.5 प्रतिशत रह सकती है. इसके अलावा जनवरी-फरवरी में कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमीक्रोन का प्रकोप रहने से भी संपर्क संबंधी सेवाओं (कॉन्टेक्ट इंटेसिव सर्विसेज) के रिवाइवल पर असर देखा गया है. इसका भी वित्त वर्ष 2021-22 की अंतिम तिमाही में वृद्धि की रफ्तार पर असर देखने को मिला है.
जीवीए घटने का अनुमान
इक्रा ने कहा है कि चौथी तिमाही में आधार कीमतों पर ग्रॉस वैल्यू ऐडेड (जीवीए) घटकर 2.7 प्रतिशत पर आने के आसार हैं. दिसंबर तिमाही में यह 4.7 प्रतिशत पर रहा था. बता दें कि राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) वित्त वर्ष 2021-22 की चौथी एवं अंतिम तिमाही के आंकड़े 31 मई को जारी करेगा.
चुनौतीपूर्ण चौथी तिमाही
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि चौथी तिमाही का समय चुनौतीपूर्ण था जिसमें ओमीक्रोन की वजह से कोविड-19 की तीसरी लहर आई और जिंसों के दाम अधिक होने से मार्जिन भी कम हुआ. इसके अलावा मार्च में ही सामान्य से ज्यादा गर्मी पड़ने से गेहूं की पैदावार पर भी प्रतिकूल असर देखा गया है.