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महंगाई की मार…नौकरीपेशा और निवेशक से लेकर अर्थव्‍यवस्‍था तक पर कैसे असर डालती है Inflation.

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ग्‍लोबल मार्केट में सप्‍लाई पर असर पड़ने से इस समय पूरी दुनिया महंगाई (Inflation) की भीषण मार से जूझ रही है. अमेरिका में खुदरा महंगाई 40 साल में सबसे ज्‍यादा है तो भारत में भी यह रिजर्व बैंक के दायरे से बाहर निकल चुकी है. ऐसे में सवाल उठता है कि इस महंगाई का निवेशकों और नौकरीपेशा आदमी पर किस तरह असर पड़ता है.

महंगाई से न सिर्फ आम आदमी परेशान होता है, बल्कि पूरी अर्थव्‍यवस्‍था ही इसके दबाव से सुस्‍त पड़ जाती है. महंगाई किसी महामारी से कम नहीं है, क्‍योंकि इससे निजी खपत में बड़ी गिरावट आ जाती है जो आखिरकार रोजगार और उत्‍पादन पर भी असर डालता है. अगर महंगाई का असर लंबे समय तक रहे तो अर्थव्‍यवस्‍था की रफ्तार भी सुस्‍त पड़ सकती है. अभी भारत की खुदरा महंगाई दर 6.95 फीसदी है, जो 17 महीने में सबसे ज्‍यादा है.
नौकरीपेशा पर महंगाई का असर
सरकारी और निजी क्षेत्र के नियोक्‍ता अपने कर्मचारियों को महंगाई के असर बचाने के लिए महंगाई भत्‍ते (DA) में इजाफा करते हैं. संगठित क्षेत्र में काम करने वाले लगभग सभी कर्मचारियों को महंगाई भत्‍ते का लाभ मिलता है और उनके वेतन में इजाफा करके उनकी खरीद क्षमता को बढ़ाया जाता है. हालांकि, असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले को महंगाई से जूझना ही पड़ता है. ऐसे में जिन कर्मचारियों को DA का लाभ मिलता है, उनकी खरीद क्षमता पर महंगाई का खास असर नहीं दिखता.

निवेशकों के लिए भी अच्‍छी है महंगाई
अगर महंगाई की दर 4-5 फीसदी के दायरे में रहती तो यह अर्थव्‍यवस्‍था को तेजी से बढ़ाने में कारगर साबित होती है. वेतनभोगी वर्ग को महंगाई के सापेक्ष भत्‍ता मिलता है जिससे उनकी खपत पर ज्‍यादा असर नहीं पड़ता. इस दौरान कंपनियों की कमाई भी बढ़ती जाती है और उनके स्‍टॉक के साथ बाजार मूल्‍य में भी इजाफा हो जाता है. इसका सीधा लाभ निवेशकों को मिलता है, जिससे वे और ज्‍यादा पैसे लगाने को लेकर प्रोत्‍साहित होते हैं.

अर्थव्‍यवस्‍था पर गंभीर असर
महंगाई की दर अगर दायरे से बाहर निकल जाए तो अर्थव्‍यवस्‍था पर गंभीर असर डाल सकती है. इससे निजी खपत घट जाएगी जिसका असर कंपनियों के मार्जिन पर पड़ेगा और उत्‍पादन भी गिर जाएगा. यही कारण है कि रिजर्व बैंक ने अप्रैल के शुरुआती हफ्ते में जारी मौद्रिक नीति समिति के फैसलों में विकास दर अनुमान को घटा दिया है.

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