दुनिया भर में कर्मचारियों के लिए हफ्ते में 4-वर्किंग डेज मॉडल (4-Day Workweek Model) अपनाने में देखी जा रही तेजी के बीच एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत में भी ज्यादातर कंपनियां को लगता है कि इस व्यवस्था से तनाव कम करने में मदद मिलेगी.
एचआर सॉल्यूशन्स जीनियस कंसल्टेंट्स (HR Solutions Genius Consultants) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 60 फीसदी से अधिक कंपनियों का यह मत है कि हफ्ते में 4-वर्किंग डेज वाला मॉडल नौकरी में संतुष्टि और काम एवं जीवन के बीच संतुलन साधने के साथ संगठन के ओवरऑल मनोबल को बढ़ाने के लिहाज से भी सफल साबित होगी. इससे स्ट्रेस का स्तर भी कम होगा.
हालांकि 27 फीसदी कंपनियां इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं हैं कि संगठन की प्रोडक्टिविटी पर इस चलन का क्या असर हो सकता है. वहीं 11 फीसदी कंपनियों ने कहा कि 4-वर्किंग डेज वाला मॉडल से कोई उल्लेखनीय सकारात्मक परिणाम नहीं आने वाले हैं.
1,113 कंपनियों और कर्मचारियों के बीच सर्वे
यह रिपोर्ट 1,113 कंपनियों और कर्मचारियों पर 1 फरवरी से 7 मार्च के बीच कराए गए एक ऑनलाइन सर्वेक्षण पर आधारित है. यह सर्वेक्षण बैंकिंग व फाइनेंस, कंस्ट्रक्शन व इंजीनियरिंग, शिक्षा, एफएमसीजी, हॉस्पिटैलिटी, एचआर सॉल्यूशन्स, आईटी, आईटीईएस और बीपीओ, लॉजिस्टिक्स, मैन्युफैक्चरिंग, मीडिया, तेल एवं गैस क्षेत्र की कंपनियों में किया गया.
4-वर्किंग डेज वाला मॉडल के पक्ष में हैं 100 फीसदी कर्मचारी
वहीं इस सर्वे के नतीजे बताते हैं कि 100 फीसदी कर्मचारी 4-वर्किंग डेज वाला मॉडल के पक्ष में हैं. सर्वेक्षण में कंपनियों से पूछा गया था कि एक अतिरिक्त दिन का अवकाश मिलने पर क्या वे रोजाना 12 घंटे से अधिक समय तक काम करने को तैयार हैं तो उनमें से 56 फीसदी लोग फौरन ही इसके लिए राजी हो गए. हालांकि 44 फीसदी कर्मचारी कामकाजी घंटों को बढ़ाने के पक्ष में नहीं दिखे. इसी के साथ 60 फीसदी कर्मचारियों ने एक और दिन का अवकाश मिलने पर 12 घंटे से अधिक काम करने के लिए खुद को तैयार बताया.