एक रिपोर्ट के अनुसार, यूक्रेन में चल रहे युद्ध के कारण अगले वित्त वर्ष में भारत में कच्चे सूरजमुखी तेल की आपूर्ति में कम से कम 25 प्रतिशत या 4-6 लाख टन की कमी होने अनुमान है. दरअसल, यूक्रेन दुनिया का सबसे बड़ा सूरजमुखी उत्पादक है और भारत में अधिकांश कच्चे सूरजमुखी तेल की आपूर्ति वहीं से होती है.
क्रिसिल ने जताया संकट का अनुमान
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने गुरुवार को कहा कि घरेलू खाद्य तेल प्रोसेसर इस युद्ध से आपूर्ति श्रृंखला में आ रही परेशानियों को झेलने के लिए तैयार है लेकिन इस संकट से उसकी उत्पादन योजना पर भारी असर होगा. क्रिसिल ने कहा है, “रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण आपूर्ति बाधित होने से अगले वित्त वर्ष में भारत में कम-से-कम 4-6 लाख टन कच्चे सूरजमुखी तेल की आपूर्ति में कमी आ सकती है.” क्रिसिल ने कहा है कि कुल मिलाकर यूक्रेन और रूस सालाना 100 लाख टन कच्चे सूरजमुखी तेल का निर्यात करते हैं, जबकि अर्जेंटीना 7 लाख टन के साथ तीसरे स्थान पर है.
कहां से सुरजमुखी का तेल आयात करता है भारत
भारत में हर साल करीब 230-240 लाख टन खाद्य तेलों की खपत होती है. इसका 10 फीसदी हिस्सा रिफाइंड सूरजमुखी तेल से पूरा होता है. भारत सूरजमुखी रिफाइंड ऑयल की घरेलू मांग का 60 फीसदी आयात करता है. भारत में आयात किया जाने वाले सुरजमुखी तेल का 70 फीसदी हिस्सा यूक्रेन से जबकि 20 फीसदी रूस से आता है. भारत बाकी बचा हिस्सा अर्जेंटीना व अन्य देशों से प्राप्त करता है.
कीमतों पर होगा असर
रिपोर्ट के अनुसार, घरेलू खाद्य तेल प्रोसेसर आमतौर पर 30-45 दिनों के कच्चे माल की इन्वेंटरी रखते हैं जिससे उन्हें तत्काल अवधि में आपूर्ति के झटके से निपटने में मदद मिले. हालांकि, अगर संघर्ष और आपूर्ति श्रृंखला में परेशानी लंबे समय तक जारी रहता है तो कीमतों पर प्रभाव होना शुरू हो जाएगा. एक लंबा संघर्ष खाद्य तेल प्रोसेसर को अर्जेंटीना से अधिक कच्चा सूरजमुखी तेल मंगाने के लिए बाध्य करेगा. हालांकि, रुस व यूक्रेन से आयात में कमी के कारण यह मांग की आपूर्ति करने के लिए पर्याप्त नहीं होगा. ऐसे में प्रोसेसर दूसरे खाद्य तेलों के रिफाइंड करने की ओर रुख कर सकते हैं.