शिक्षा पर खर्च दिनोंदिन बढ़ता ही जा रहा है, खासकर उच्च शिक्षा पर. एक मध्यमवर्गीय परिवार के लिए उच्च शिक्षा के लिए पूरे पैसे जोड़ लेना आसान नहीं है. इसलिए बहुत से लोग अपने बच्चों की हाईअर एजुकेशन के लिए एजुकेशन लोन लेते हैं. आजकल भारत में इसका चलन बहुत बढ़ गया है.
पढ़ाई के लिए कर्ज लेने से पहले कुछ बातों का ख्याल रखना बहुत जरूरी है. इसलिए एजुकेशन लोन पूरी सावधानी से पूरी जांच-पड़ताल करके ही लेना चाहिए. ऐसा करने से न केवल आपको बाद में ऋण चुकाने में आसानी होगी बल्कि आपको पैसे की भी बचत होगी. आईये जानते हैं कि एजुकेशन लोन लेते वक्त किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.
यह पता होना होना जरूरी की कितना लोन चाहिए
किसी भी कोर्स में दाखिला लेने पर कई तरह का खर्च होता है. इसमें मुख्य है कोर्स की फीस, हॉस्टल या रहने का खर्च, किताबों, लैपटॉप आदि पर खर्च होने वाली राशि. इसलिए लोन लेने से पहले इन सभी जरूरी खर्चों का आंकलन अच्छी तरह कर लेना चाहिए तथा बाद में ही लोन के लिए अप्लाई करना चाहिए. लोन की राशि इतनी होनी चाहिए कि यह पूरा खर्च कवर हो सके. घरेलू कोर्सेज के लिए अधिकतम 10 लाख रुपये और विदेशों में पढ़ाई के लिए 20 लाख रुपये तक का कर्ज मिलता है. IIM, आईआईटी और ISB जैसे बड़े संस्थानों में पढ़ाई के लिए ज्यादा कर्ज भी मिल जाता है.
ऋण चुकाने की अवधि का निर्धारण
वित्तीय संस्थान कोर्स की अवधि के अलावा एक साल का अतिरिक्त मोरेटोरियम समय भी लोन चुकाने के लिए देते हैं. इस अवधि में EMI नहीं देनी होती है. आमतौर पर ईएमआई जब चुकाना शुरू करते हैं तो 15 साल का रीपेमेंट पीरियड मिलता है. जिस दिन लोन मिलता है, उसी दिन से ब्याज शुरू हो जाता है. बैंक मोरेटोरियम पीरियड को दो साल और बढ़ा सकता है. इन सब बातों को देखते हुए एजुकेशन लोन के रीपेमेंट पीरियड को काफी सोच-समझकर चुनना चाहिए ताकि आगे लोन चुकाने में दिक्कत न हो.
कितना लगेगा ब्याज
एजुकेशन लोन की ब्याज दर एक अहम तथ्य है जिसका ध्यान लोन लेते वक्त जरूर देना चाहिए. ब्याज दर कोर्स, संस्थान, पिछले एकेडमिक परफॉरमेंस, छात्र/को-एप्लीकेंट के क्रेडिट स्कोर और सिक्योरिटी जैसी बातों पर निर्भर करती है. इसके अलावा अलग-अलग वित्तीय संस्थानों की ब्याज दरों में भी फर्क हो सकता है. मोरेटोरियम पीरियड के दौरान ब्याज साधारण दर से लगता है और इसके बाद चक्रवृद्धि ब्याज दर से. इस लिए लोन लेने से पहले सभी बैंकों की ब्याज दरों की जानकारी अच्छी तरह से ले लेनी चाहिए.
भविष्य की कमाई का आंकलन करें
जिस कोर्स और संस्थान में आप दाखिला ले रहे हैं, उस कोर्स और संस्थान की प्लेस्मेंट इतिहास को जान लेना एजुकेशन लोन लेने से पहले जरूरी है. ऐसा करने से आपको एक मोटा-मोटा अनुमान हो जाएगा कि आपको कोर्स के बाद नौकरी मिलेगी या बीच में ही मिल जाएगी. साथ ही यह अंदाजा भी हो जाएगा कि वेतन कितना मिलेगा. जब आपको प्लेसमेंट और वेतन का आइडिया हो जाएगा तो इससे आपको अपनी मासिक आय और इसके हिसाब से ईएमआई का आंकलन करने में मदद मिलेगी. इसके अलावा लोन अवधि चुनने में भी मदद मिलेगी.