रिकॉर्ड उछाल के साथ आसमान की ओर बढ़ते कच्चे तेल (Crude oil) को UAE के भरोसेमंद वादों ने नीचे उतार लिया है. UAE ने ग्लोबल मार्केट में क्रूड की सप्लाई बढ़ाने का वादा किया तो कच्चे तेल के भाव में दो साल की बड़ी गिरावट दिखने को मिली. अनुमान है कि भारत में खुदरा कीमतें बढ़ाने का सिलसिला फिलहाल शुरू नहीं होगा.
रूस पर प्रतिबंध लगने के बाद अमेरिका की अपील पर संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने अपना उत्पादन बढ़ाने का भरोसा दिया. इससे ब्रेंट क्रूड के दाम 16.84 डॉलर प्रति बैरल गिरकर 111.14 डॉलर के भाव पर आ गए. ब्रेंट क्रूड के भाव में आई 13.2 फीसदी की गिरावट 21 अप्रैल, 2020 के बाद सबसे ज्यादा है. अमेरिकी कच्चा तेल (U.S. crude) का वायदा भाव भी 15.44 डॉलर गिरकर 108.70 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया. यह नवंबर के बाद बड़ी गिरावट है.
अमेरिका की गुहार पर दौड़ पड़े अरब देश
रूस से कच्चे तेल की सप्लाई बंद करने के फैसले के बाद अमेरिका ने तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेके (OPEC) से अपनी सप्लाई बढ़ाने की गुहार लगाई थी. इस पर वॉशिंगटन में UAE के एम्बेसडर युसुफ अल ओताइबा ने कहा कि हम उत्पादन बढ़ाने के पक्ष में हैं और संगठन के अन्य देशों से भी इसमें साथ देने की अपील करते हैं. सऊदी अरब ने भी अपना उत्पादन बढ़ाने का भरोसा दिया है.
बाजार को जल्द मिलेगा 8 लाख बैरल तेल
Mizuho पर एनर्जी के वायदा कारोबार के डाइरेक्टर बॉब यॉगर ने कहा कि UAE की ओर से बढ़ा उत्पादन जल्द बाजार में आ सकता है. अनुमान है कि 8 लाख बैरल तेल की सप्लाई जल्द बाजार को मिलेगी. इससे रूस की ओर से होने वाली सप्लाई में कमी का असर कम हो जाएगा. रूस की ओर से रोजाना 70 लाख बैरल तेल की सप्लाई होती है, जो कुल ग्लोबल सप्लाई का 7 फीसदी है.
एक हफ्ते में बदले ओपेक के सुर
अमेरिका की आवाज पर ओपेक के सुर एक हफ्ते में पूरी तरह बदल गए. कुछ दिन पहले तक ओपेक का कहना था कि तेल कीमतें बढ़ने का कारण कम उत्पादन नहीं बल्कि भूराजनैतिक तनाव है. तब ओपेक सिर्फ 4 लाख बैरल प्रतिदिन का उत्पादन बढ़ाने को तैयार था. अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के चीफ फातेह बिरॉल ने कहा कि हम जरूरत पर और उत्पादन बढ़ाने को तैयार हैं. एजेंसी ने पिछले सप्ताह अपने रिजर्व में से 6 करोड़ बैरल तेल बाजार में जारी करने का ऐलान किया था.