ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने 12-18 वर्ष की आयु वाले बच्चों के लिए बायोलॉजिकल-ई की कोर्बेवैक्स वैक्सीन (Corbevax vaccine) को अंतिम मंजूरी दे दी है. यह स्वदेशी रूप से विकसित पहली प्रोटीन सब-यूनिट वैक्सीन है. इस वैक्सीन को मिली मंजूरी के साथ अब देश में बच्चों के लिए आपातकालीन उपयोग के लिए तीन वैक्सीन हो गई हैं. कोर्बेवैक्स से पहले भारत बायोटेक की कोवैक्सिन और जाइकोब-डी को भी बच्चों के लिए मंजूरी मिल चुकी है. दरअसल कोरोना संक्रमण ने दुनियाभर में हर आयुवर्ग के लोगों को प्रभावित किया है. इनमें सबसे ज्यादा संक्रमण का खतरा बच्चों और 18 साल से कम उम्र वालों पर बना हुआ है. ऐसे में देश में बनी कोर्बेवैक्स वैक्सीन को मंजूरी मिलना बड़ी राहत की खबर है.
कोर्बेवैक्स के दूसरे और तीसरे चरण के परीक्षण की अनुमति के लिए बायोलॉजिकल-ई को सितंबर 2021 में अनुमति मिली थी. इस संबंध में 5 से 18 वर्ष तक की आयु के बच्चों और किशोरों पर परीक्षण किया जाना तय हुआ था. इस अध्ययन में वैक्सीन को सुरक्षित और रोग के प्रति प्रभावी पाया गया है. अध्ययन और परिणामों के आधार पर नियामक ने इसके आपातकालीन उपयोग को मंजूरी दे दी है. इस वैक्सीन को अध्ययनों में कोरोनावायरस के खिलाफ 78 फीसदी तक असरदार पाया गया है.
पारंपरिक सबयूनिट वैक्सीन प्लेटफॉर्म से बनी है कोर्बेवैक्स
बायोलॉजिकल-ई के कोर्बेवैक्स (Corbevax) वैक्सीन की बड़ी खूबी है कि यह पारंपरिक सबयूनिट वैक्सीन प्लेटफार्म से बनी हुई है. पिछले साल दिसंबर में इस वैक्सीन को वयस्कों पर इस्तेमाल की मंजूरी मिली थी. यह भारत की पहली स्वदेशी विकसित रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन (आरबीडी) प्रोटीन सब-यूनिट वैक्सीन है. इसमें इसमें स्पाइक प्रोटीन की तरह फ्रेग्मेंट्स का इस्तेमाल किया गया है जो प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को ट्रिगर करता है. इस वैक्सीन में हानिरहित एस-प्रोटीन होता है. एक बार जब मानव प्रतिरक्षा प्रणाली इस एस-प्रोटीन को पहचान लेती है, तो अगली बार यह संक्रमण से लड़ने वाली श्वेत रक्त कोशिकाओं के रूप में एंटीबॉडी का उत्पादन करने में मदद करती है.
बच्चों और किशोरों पर प्रभावी है कोवैक्सिन
भारत सरकार ने भारत बायोटेक की कोवैक्सिन को आधिकारिक तौर पर 12 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए मंजूरी दी थी. तीसरे चरण के परीक्षण में हल्के, मध्यम और गंभीर बीमारी के खिलाफ कोवैक्सिन को 77.8 फीसदी तक प्रभावी पाया गया था. वैक्सीन को बच्चों में सुरक्षित और प्रभावकारी पाया गया है. यह निष्क्रिय वायरस पर आधारित टीका है जिसका अर्थ है कि इसे निष्क्रिय कोरोनावायरस का उपयोग करके बनाया गया है, जो प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को ट्रिगर करती है.