सरकार की महंगाई थामने की तमाम कोशिशें बेकार होती दिख रही हैं. बीते साल आयात शुल्क में कटौती कर जैसे-तैसे खाद्य तेल की कीमतों को नीचे लाई थी, लेकिन इस साल फिर रिकॉर्ड बढ़ोतरी होती दिख रही है.
ब्लूमबर्ग के मुताबिक, भारत सहित दुनियाभर में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले पाम तेल (Palm Oil) की कीमतों में इस साल अब तक रिकॉर्ड 20 फीसदी का उछाल आ चुका है. इसके अलावा सोयाबीन तेल (Soybean Oil) के दाम भी 2022 में अब तक 17 फीसदी बढ़ चुके हैं. इसका असर भारत सहित दुनियाभर की खाद्य महंगाई (Food Inflation) पर दिखेगा, जो पहले ही रिकॉर्ड स्तर के करीब पहुंच चुकी है.
दिसंबर में दिखी थी 6 महीने की बड़ी तेजी
पाम, सोयाबीन और सूरजमुखी तेल के सबसे बड़े खरीदार भारत में दिसंबर में खाद्य उत्पादों की महंगाई दर 6 महीने में सबसे तेजी से बढ़ी थी. इससे भारतीय नागरिकों का बजट और बिगड़ गया जबकि मोदी सरकार पर भी राहत बढ़ाने का दबाव आ गया. सरकार ने पिछले साल कीमतें घटाने के लिए पाम, सोयाबीन और सूरजमुखी पर आयात शुल्क घटा दिया था.
बस एक ही रास्ता, PDS के जरिये तेल बेचे सरकार
दिग्गज ट्रेडर और गोदरेज इंटरनेशनल के डाइरेक्टर दोराब मिस्त्री का कहना है कि सरकार के पास अब सीमित विकल्प हैं. अगर वह आयात शुल्क में दोबारा कटौती करती है, तो इसका कीमतों पर फिलहाल असर नहीं पड़ेगा. ऐसे में उसे रिफाइंड पाम तेल मंगाकर उसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के जरिये बाजार से कम कीमत पर लोगों को बेचना होगा.
PDS में मिलते हैं सिर्फ चावल और गेहूं
खाद्य मंत्रालय (Food Ministry) के प्रवक्ता का कहना है कि सरकार अभी PDS के तहत राज्यों को मुख्य रूप से गेहूं और चावल ही बांटने के लिए देती है. हालांकि, राज्य सरकारें अपनी तरफ से कोई भी अनाज इसमें शामिल कर सकती हैं. सरकार फिलहाल खाद्य तेल पर आयात निर्भरता घटाने की प्लानिंग कर रही. इसमें उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए बुआई रकबा बढ़ाने और जेनेटिकली मोडिफाइड (GMO) तिलहन बीज बोने पर जोर दिया जा रहा है.