ऑर्गेनिक खेती (Organic Farming) की महत्ता को समझना है तो इस किस्से पर गौर कीजिए. पंजाब ( जहां पर गेहूं की रिकॉर्ड उत्पादन है) में मध्य प्रदेश के सरबती गेहूं और आटे की मांग बढ़ गई है. कारण है अत्यधिक रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग. जब देश में खाद्यान्न की कमी थी तो वक्त रासायनिक खाद का उपयोग खाद्यान्न बढ़ाने के लिए किया गया. लेकिन अब इसके दुष्प्रभाव भी दिखने लगे हैं. इसी चुनौती को देखते हुए केंद्रीय बजट 2022-23 में पहली बार खेती में ड्रोन (Drone) टेक्नोलॉजी के साथ-साथ ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया.
खेती में ड्रोन के फायदे
केंद्रीय बजट में इस बार खेती में ड्रोन तकनीकी के प्रयोग को बढ़ावा देने की बात की गई. जानकारों का मानना है कि ड्रोन तकनीक का प्रयोग खेती में किए जाने से इसकी लागत कम होगी. इससे खेती में निगरानी के साथ-साथ जमीन के रिकॉर्ड को रखने कीटनाशकों के प्रयोग के साथ-साथ फसल की निगरानी आदि भी की जा सकेगी. इसके साथ ही ड्रोन तकनीक से किसान को तो मदद मिलेगी ही, उत्पादन का रियल टाइम डेटा भी उपल्बध होगा.
बजट घोषणा के अनुसार, इससे जुड़े स्टार्ट-अप्स को फंड करने के लिए नाबार्ड के माध्यम से मदद भी दी जाएगी. पीएम नरेंद्र मोदी का कहना है कि बीते बजट में हमने किसान रेल और किसान उड़ान की सुविधा सुनिश्चित की, अब किसान ड्रोन किसान का नया साथी बनने वाला है.
बजट में नेचुरल फार्मिंग को लेकर के कही गई यह बात
इसके साथ ही साथ नेचुरल फार्मिंग को बढ़ावा देने के लिए 2500 किलोमीटर लंबे और लगभग 10 किलोमीटर चौड़े नेचुरल फार्मिंग कॉरिडोर को विकसित करने की परिकल्पना इस बजट में की गई है. इसके पहले फेज में उत्तराखंड उत्तर प्रदेश बिहार झारखंड और पश्चिम बंगाल में इस तरह का कॉरिडोर विकसित किया जाएगा.
कृषि को लेकर के बजट में यह भी हुई घोषणा
केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ड्रोन तकनीक और नेचुरल फार्मिंग के साथ-साथ पीएम किसान सम्मान निधि के अंतर्गत 68 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया है. इस नीति से देश के लगभग 11 करोड़ किसानों को फायदा देने की बात कही गई है. किसानों के लिए इस बजट में सब्सिडी को 1.5 लाख करोड़ करने का प्रस्ताव रखा गया है, जो कि पिछले बजट में 79 हज़ार करोड़ रुपये था.
इस बजट में एमएसपी पर फसल की रिकॉर्ड खरीदारी का भी प्रावधान किया गया है. खाद्य तेल को लेकर के देश को आत्मनिर्भर करने के भी कई प्रयास इस बजट में किए गए. किसानों को अन्नदाता के साथ-साथ उर्जादाता बनाने के अभियान को निरंतरता देते हुए खेतों में ही सोलर पैनल लगाने के कार्यक्रम को और अधिक बढ़ावा देने की बात कही गई है.