सांसद श्री राहुल गांधी 3 फरवरी को छत्तीसगढ़ राज्य में गरीब भूमिहीन परिवारों को सीधे आर्थिक मदद पहुंचाने की छत्तीसगढ़ सरकार की नई अभिनव योजना का शुभारंभ करेंगे। भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री राजीव गांधी के नाम से शुरू हो रही यह महत्वपूर्ण योजना राजीव गांधी ग्रामीण कृषि मजदूर न्याय योजना के नाम से जानी जाएगी। इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों केे कृषि भूमिहीन मजदूर परिवारों को छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से प्रति वर्ष 6 हजार रूपए की आर्थिक मदद दी जाएगी। सांसद श्री राहुल गांधी 3 फरवरी को रायपुर के साईंस कॉलेेज मैदान में आयोजित होने वाले एक भव्य कार्यक्रम में भूमिहीन परिवारों को इस योजना की पहली किश्त की राशि सीधे उनके खातों में ट्रांसफर करेंगे। छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, जिसने भूमिहीन कृषि मजदूरों के लिए ऐसी योजना लागू की है। छत्तीसगढ़ सरकार ने इस योजना के लिए वर्ष 2021-22 के बजट में 200 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है।
यहां यह उल्लेखनीय है कि कोरोना संक्रमण काल के चलते रोजी-रोजगार के प्रभावित होने के कारण सांसद श्री राहुल गांधी कमजोर तबके के लोगों को सरकार की ओर से सीधी मदद पहुंचाने की बात पुरजोर तरीके से करते रहे हैं। छत्तीसगढ़ सरकार की यह नवीन योजना सांसद श्री राहुल गांधी की मंशा के अनुरूप है। इस योजना के जरिए समाज के उन परिवारों को सीधी मदद मिलेगी, जिनका जीवन-यापन खेतिहर मजदूर के रूप में होने वाली आय पर निर्भर है। छत्तीसगढ़ राज्य में राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना के अंतर्गत लगभग 3 लाख 55 हजार ऐसे परिवार पंजीकृत हुए हैं, जिनके पास कृषि भूमि नहीं है और वह मजदूरी कर जीवन-यापन करते हैं। भूमिहीन परिवारों को लाभान्वित करने की छत्तीसगढ़ सरकार की यह अभिनव योजना है। इस तरह की योजना देश के अन्य राज्यों में कहीं नहीं है।
राज्य की आबादी में लगभग 70 फीसदी आबादी का जीवन-यापन खेती है। खेती के काम में बड़ी संख्या में भूमिहीन श्रमिक जुड़े हैं। इनमें से कई ऐसे कृषि मजदूर हैं जिनके पास स्वयं की कृषि भूमि नहीं है और वे दूसरों के यहां खेती-मजदूरी कर जीवन-यापन करते हैं। यह योजना भूमिहीन परिवारों के लिए मददगार साबित होगी। ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर परिवारों के अंतर्गत चरवाहा, बढ़ई, लोहार, मोची, नाई, धोबी और पुरोहित जैसे पौनी-पसारी व्यवस्था से जुड़े परिवार, वनोपज संग्राहक तथा समय-समय पर नियत अन्य वर्ग भी पात्र होंगे।
यहां यह उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा समाज के जरूरतमंद लोगों को सीधी मदद पहुंचाने की यह पहली योजना नहीं है। इससे पहले भी प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में फसल उत्पादकता एवं फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राजीव गांधी किसान न्याय योजना शुरू की गई थी। इस योजना के तहत किसानों को मई 2020 से लेकर अब तक लगभग 10 हजार 176 करोड़ रूपए की मदद इनपुट सब्सिडी के रूप में दी जा चुकी है। आगामी मार्च माह में राज्य के 22 लाख किसानों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना की चौथी किश्त 1500 करोड़ रूपए उनके खातों में ट्रांसफर की जाएगी। राजीव गांधी किसान न्याय योजना से राज्य में खेती-किसानी समृद्ध हुई है। किसानों की संख्या, फसल का रकबा और उत्पादन में लगातार बढ़ोत्तरी होते जा रही है। छत्तीसगढ़ राज्य में वर्ष 2018-19 में 80.37 लाख मेट्रिक टन धान की खरीदी समर्थन मूल्य पर हुई थी, आज के स्थिति में यह आंकड़ा एक करोड़ मेट्रिक टन के पार होने जा रहा है। धान बेचने वाले किसानों की संख्या भी तीन सालों में 15 लाख से बढ़कर 24 लाख के पार पहुंच रही है।
राजीव गांधी किसान न्याय योजना से छत्तीसगढ़ में खेती-किसानी और किसानों को एक नया सम्बल मिला है। इस योजना में अब खरीफ और उद्यानिकी की सभी प्रमुख फसलों के उत्पादक कृषकों को प्रति एकड़ के मान से 9 हजार रूपए की इनपुट सब्सिडी देने की व्यवस्था की गई है। धान वाले रकबे में धान के बदले अन्य फसलों की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए प्रति एकड़ 10 हजार रूपए की इनपुट सब्सिडी का प्रावधान है।
छत्तीसगढ़ सरकार की दूसरी लोकप्रिय योजना गोधन न्याय है। इसके जरिए गांव के गौठानों में 2 रूपए प्रति किलो में गोबर की खरीदी की जा रही है, जिससे सीधे तौर पर पौने दो लाख परिवार लाभान्वित हो रहे हैं। इसमें लगभग 92 हजार भूमिहीन परिवार भी शामिल है। गोधन न्याय योजना के माध्यम से अब तक लगभग 122 करोड़ रुपए के गोबर की खरीदी की गई है, जिससे महिला स्व सहायता समूह से जुड़ी 80 हजार महिलायें वर्मी कंपोस्ट एवं सुपर कंपोस्ट का निर्माण एवं अन्य सामग्री तैयार कर रही है। गौठानों में इसके अलावा महिला समूह आय की अन्य गतिविधियों का संचालन कर अब तक 52 करोड़ रूपये से अधिक की आय अर्जित कर चुकी है। गांवों में रोजी-रोजगार के अवसर एवं लोगों की आय बढ़ाने के लिए गौठानों को रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के रूप में विकसित किया जा रहा है। यहां कृषि एवं लघुवनोपज के प्रसंस्करण की इकाईयां, तेल एवं दाल मिले स्थापित की जा रही है। गोबर से विद्युत उत्पादन के बाद अब इससे घर-मकान के रंगरोगन के लिए नेचुरल पेंट भी बनाए जाने की तैयारी की जा रही है, ताकि लोगों की आमदनी में वृद्धि हो और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाया जा सके।