छत्तीसगढ़ में चुनाव की सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है और राजनैतिक शतरंज की बिसात बिछ चुकी है, जहां एक ओर सुनियोजित और संगठित तरीके से डा रमन सिंह ने हमर छत्तीसगढ़ के माध्यम से प्रदेश के पंच सरपंच को जिस तरीके से जोड़ा है वो अपने आप में किसी मनोवज्ञानिक प्रयोग से कम नहीं है। आज छत्तीसगढ़ के सुदूर गाँव से जब कोई नागरिक शहर आता है तो उसे शहर के बारे में ज्ञात होता है साथ ही आभास भी कि राजधानी कैसी होती है, वाहन कैसे चलते है इलेक्ट्रानिक मीडिया और संगीत का तारतम्य कैसे सुगढ़ होता है इत्यादि।
आज जब छत्तीसगढ़ में शराब बंदी और चावल की बाते होती है और साथ ही भू माफियाओ के वर्तमान नेताओ के साथ सम्बन्ध उछलते है तो जनता इसे मात्र एक खबर मानकर दरकिनार कर देती है क्योकि उम्मीद जब न रहे और मायूसी मन बना के चले कि अब कुछ हो नहीं सकता और करने वाले लोग यदि समझौता कर ले तो फिर कोई क्या कर सकता है ?
बहरहाल कांग्रेस अपनी बचीकुछ लंका बचाने में लगी है और इसे अगर कोई पार लगा सकता है तो युवा नेता प्रमोद दुबे पर लोगो का विश्वास सा दिखाई देता है वहीं जोगी का जोग भी चरम सीमा पर चल रहा है।
सोशल मीडिया पर सक्रिय कार्यकर्ता अपने अपने चक्रव्यूह में लगे है वही बस्तर में लाल सलाम लेती आम आदमी पार्टी सूखे पत्तो पर कदम रख रही है, जिसकी चरमराहट सुनाई पड़ते ही शंका सी उत्पन्न हो रही है।
बहरहाल जातिगत समीकरण के चलते चुनाव बड़े स्तर पर रणनीति के अनुसार होगा और उस रणनीति के ताने बाने आपके आसपास बने जा चुके है। देखिये आगे आगे। न्यूज हिंदुस्तान और संगवारी इस पर करीब नजर रखेगा।