चुनाव आयोग ने शनिवार को उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, पंजाब और मणिपुर में विधानसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा के साथ ही कोरोना से बचाव के लिए नियमों के पालन का निर्देश दिया है. मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने बताया कि कोरोना महामारी और इस वायरस के नए व अधिक संक्रामक वैरिएंट ओमिक्रॉन के तेज प्रसार के बीच आयोग ने किस तरह चुनाव आयोजित करने की तैयारी की है. उन्होंने कहा कि महामारी के बीच चुनाव करवाना चुनौती है लेकिन यह हमारा कर्तव्य भी है. आयोग के अनुसार इस बार चुनावों को लेकर तीन उद्देश्यों पर काम किया गया है. ये उद्देश्य कोविड मुक्त चुनाव, मतदाताओं की सुरक्षा व सहूलियत और मतदान में अधिक से अधिक लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करना हैं.
मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने कहा कि चुनाव प्राधिकरण 15 जनवरी को कोरोनोवायरस स्थिति की समीक्षा करेगा, इसके बाद अगले फैसले होंगे. फिलहाल आयोग ने बढ़ते कोविड -19 मामलों पर चिंता व्यक्त की और 15 जनवरी तक रैलियों, रोड शो और कॉर्नर मीटिंग्स को प्रतिबंधित कर दिया. आयोग ने कहा है कि अभी सार्वजनिक रैलियों की अनुमति नहीं है. इस पर 15 जनवरी को निर्णय लिया जाएगा.
इसके साथ ही चुनाव आयोग ने कहा है कि सभी राजनीतिक दलों, उनके संबंधित कार्यकर्ताओं, चुनाव ड्यूटी पर लगे कर्मियों को कोविड-19 की गाइडलाइन का पालन करना होगा. मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने कहा कि चुनाव आयोग के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ फ्रंटलाइन वर्कर्स की तरह व्यवहार किया जाना चाहिए और वे कोविड-19 टीकों की ‘एहतियाती खुराक’ के लिए पात्र हैं. उन्होंने यह साफ किया है कि चुनावी ड्यूटी पर तैनात सभी केंद्रीय, राज्य अधिकारियों समेत सभी कर्मचारियों को कोरोना वायरस के खिलाफ दोनों वैक्सीन लगे होने चाहिए.
चुनाव आयोग ने दोहराया कि यदि रैली की अनुमति दी जाती है तो सभी पार्टियों को रैली में शामिल होने वाले लोगों को मास्क और सैनिटाइजर प्रदान करना चाहिए. इस बीच डोर-टू-डोर अभियानों में भाग लेने के लिए केवल पांच लोगों को ही अनुमति होगी. चुनाव आयोग ने कहा है कि राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को वर्चुअल, डिजिटल मोड के माध्यम से अभियान चलाने की सलाह दी जाती है. चुनाव जीतने के बाद कोई नुक्कड़ सभा या विजय जुलूस नहीं होगा. चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को सभी चुनावी राज्यों में रात 8 बजे से सुबह 8 बजे तक कोई प्रचार न करने का भी निर्देश दिया है.