दिल्ली सीबीआई ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI- National Highways Authority of India) के एक अधिकारी को 20 लाख की रिश्वत दिए जाने के मामले में दिलीप बिल्डकॉन पर छापेमार कार्रवाई की. यह छापेमार कार्रवाई भोपाल, नई दिल्ली, बेंगलुरु, कोचीन, गुड़गांव सहित कई जगहों पर की गई. इस मामले में NHAI के अधिकारी सहित निजी कंपनी के जीएम, ईडी और चार अन्य लोग गिरफ्तार कर लिए गए. छापे में सभी ठिकानों से करीब चार करोड़ रुपए की वसूली हुई है.
सीबीआई ने NHAI के क्षेत्रीय अधिकारी अकील अहमद, कंपनी के महाप्रबंधक रत्नाकरण साजीलाल, कार्यकारी निदेशक देवेंद्र जैन, सुनील कुमार वर्मा सहित एक निजी कंपनी के स्टाफ अनुज गुप्ता को गिरफ्तार किया. महाप्रबंधक साजीलाल, कार्यकारी निदेशक देवेंद्र जैन और सुनील कुमार वर्मा दिलीप बिल्डकॉन के अधिकारी-कर्मचारी हैं. देवेंद्र जैन भोपाल में पदस्थ आईपीएस अफसर उपेंद्र जैन और मुकेश जैन के भाई हैं.
ये है पूरा मामला
दिलीप बिल्डकॉन के मध्य प्रदेश के अलावा देशभर में कई राज्यों में सड़क और अन्य प्रोजेक्ट चल रहे हैं. मध्य प्रदेश में भोपाल का मेट्रो प्रोजेक्ट भी इस कंपनी के पास है. बताया जा रहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़े एक अधिकारी से लेन-देन से यह मामला जुड़ा है. सीबीआई लंबे समय से इस मामले पर नजर बनाए हुए थी. इस लेन-देन को दिल्ली में अंजाम दिया गया. भोपाल में कंपनी के ऑफिस और निवास पर कार्रवाई हुई.
इस तरह बनी कंपनी
दिलीप बिल्डकॉन की कंपनी कंस्ट्रक्शन करती है. यह कंपनी देश में रेल और हाईवे के प्रोजेक्ट के कॉन्ट्रैक्ट लेती है. कंपनी के मालिक दिलीप सूर्यवंशी हैं. उन्होंने 1988 में दिलीप बिल्डकॉन कंपनी का गठन किया. काम की शुरुआत में उन्होंने पेट्रोल पंप कंस्ट्रक्शन, सरकारी बिल्डिंग और रेसीडेंशियल प्रोजेक्ट किए. 1995 में देवेंद्र जैन ने 21 साल की उम्र में कंपनी को इंजीनियर के रूप में जॉइन किया. वे अब इस कंपनी में एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर के पद पर काम कर रहे हैं. साल 2000 में कंपनी ने सड़क निर्माण भी शुरू किया.
इस तरह बड़ती गई कंपनी
जानकारी के मुताबिक, इस कंपनी को साल 1993 में पहला बड़ा प्रोजेक्ट मिला. करीब 4 करोड़ का ये प्रोजेक्ट करने के बाद कंपनी लगातार आगे बढ़ती गई. उसके बाद कंपनी ने 50 करोड़ रुपये से ज्यादा के ठेके लेने शुरू किए. कंपनी ने साल 2000 से 2007 के बीच 100 करोड़ रुपये ऊपर के प्रोजेक्ट किए. इस कंपनी को साल 2007 से 2010 के बीच अहमदाबाद-गोधरा का 1000 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट मिला.