केंद्रीय कैबिनेट ने नई शिक्षा नीति (New Education Policy, NEP) को जुलाई 2020 स्वीकृति दी. इसको भारत के एजुकेशन स्ट्रक्चर के सभी पहलुओं को ध्यान में रख के बनाया गया है. केंद्र सरकार ने पिछले साल ही 34 साल पुरानी व्यवस्था को बदलते हुए नई शिक्षा नीति 2020 (New Education Policy 2020) का ऐलान किया. इसके तहत अब छात्र-छात्राओं को साल में दो बार परीक्षाएं देने का मौका मिल सकेगा.
राष्ट्रीय शिक्षा पद्धति इंडिया सेंट्रिक है जिससे समाज के सभी वर्गों तक समान तरीके से आधुनिक नॉलेज पहुंचाई जा सके. नई शिक्षा नीति में अमेरिका की तरह मल्टीपर एंट्री और एक्जिट का भी सिस्टम डेवलप करने की कोशिश की गई है जिससे छात्र अपने अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम को बीच में ही छोड़ पाएं और फिर से उसे कॉन्टीन्यू भी कर पाएं. जानिए नई शिक्षा नीति के कुछ खास बिंदुओं के बारे में.
नई शिक्षा नीति में किस तरह बदल जाएंगी बोर्ड परीक्षाएं
सभी स्कूलों में परीक्षाएं सेमेस्टर वाइज़ होंगी. कॉलेजों में सिलेबस को उसके कोर नॉलेज तक सीमित रखा जाएगा और ज्यादा फोकस प्रैक्टिकल और एप्लीकेशन वाले हिस्से पर रखा जाएगा. यूनिवर्सिटीज़ अब क्रेडिट सिस्टम पर काम करेंगी. इसलिए एफिलिएटेड यूनवर्सिटीज़ को क्रेडिट के आधार पर ऑटोनमी मिलेगी. उदाहरण के लिए ए ग्रेड की यूनिवर्सिटी को ग्रेड-बी यूनिवर्सिटी की तुलना में ज्यादा स्वायत्तता होगी. नेशनल रिसर्च फाउंडेशन अब न सिर्फ साइंस बल्कि सोशल साइंस के प्रोजेक्ट्स की भी फंडिंग करेगा.
0+2 बोर्ड स्ट्रक्चर को खत्म कर दिया गया है. अब नया स्कूल स्ट्रक्चर 5+3+3+4 होगा, जिसके तहत 5वीं तक प्रि-स्कूल, 6वीं से 8वीं तक मिड स्कूल, 8वीं से 11वीं तक हाई स्कूल और 12वीं से आगे ग्रेजुएशन होगा. हर डिग्री चार साल की होगी. 6ठीं कक्षा से ही वोकेशनल कोर्सेज उपलब्ध होंगे और 8वीं कक्षा से ही छात्र अपने सब्जेक्ट का चुनाव कर पाएंगे. सभी ग्रेजुएशन कोर्स में में ‘मेजर’ और ‘माइनर’ का डिवीज़न होगा. जैसे साइंस का स्टूडेंट फिजिक्स को मेजर सब्जेक्ट और म्यूजिक को माइनर सब्जेक्ट के रूप में चुन पाएगा. साथ ही किसी भी सब्जेक्ट को चुना जा सकेगा.
UGC AICTE को मर्ज किया जाएगा और सभी हायर एजुकेशन को एक ही अथॉरिटी गवर्न करेगी. सरकारी, प्राइवेट, ओपन, डीम्ड या दूसरी हर तरह की यूनिवर्सिटीज़ पर एक ही तरह के ग्रेडिंग व दूसरे रूल्स लागू होंगे. सभी तरह के टीचर्स के लिए नया टीचर ट्रेनिंग बोर्ड स्थापित किया जाएगा. बोर्ड परीक्षाओं को ऑब्जेक्टिव और डिस्क्रिप्टिव में बदला जाएगा ताकि छात्रों के नॉलेज को टेस्ट किया जा सके. संक्षिप्त में कहें तो सिर्फ रट के पास होना अब मुश्किल होगा.
प्री-प्राइमरी एजुकेशन
इस नई शिक्षा नीति का उद्देश्य प्रि-प्राइमरी एजुकेशन (3 से 5 साल के बच्चों के लिए) को सभी के लिए 2025 तक उपलब्ध कराना है. इसके जरिए आधारभूत साक्षरता और अंको का ज्ञान सभी को उपलब्ध कराना लक्ष्य होगा.
शिक्षा तक सभी की पहुंच
सभी को शिक्षा उपलब्ध कराने और ड्रॉपआउट्स को फिर से स्कूल से जोड़ने के लिए नई शिक्षा नीति का उद्देश्य होगा. इसके लिए कोशिश की जाएगी कि साल 2030 तक 3 से 18 साल तक के आयु वर्ग के सभी बच्चों को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध कराई जाए.
नया करीकुलर और शैक्षणिक स्ट्रक्चर
नई एजुकेशन पॉलिसी के तहत नया करीकुलर और शैक्षणिक स्ट्रक्चर को लागू किया जाएगा.
आर्ट्स और साइंस के बीच ज्यादा भेद नहीं
बच्चों को आर्ट्स, साइंस, स्पोर्ट्स, ह्यूमनिटीज़ और वोकेशनल विषयों के बीच चुनने की ज्यादा छूट दी जाएगी.
स्थानीय भाषा में शिक्षा
बच्चे 2 से 8 साल के बीच काफी तेजी से भाषा को सीख लेते हैं और कई भाषाएं जानना मस्तिष्क पर काफी सकारात्मक प्रभाव छोड़ता है. इसलिए शुरू से ही तीन भाषाएं पढ़ाई जाएंगी.
छात्र पढ़ेंगे एक क्लासिकल लैंग्वेज
भारतीय क्लासिकल लैंग्वेज को बचाने के लिए हर छात्र 6-8वीं ग्रेड में एक क्लासिकल लैंग्वेज पढे़गा. इससे छात्र क्लासिकल लैंग्वेज को सीख पाएंगे.
फिजिकल एजुकेशन
सभी स्टूडेंट्स को स्कूल के सारे स्तरों पर फिजिकल ऐक्टिविटी और एक्सरसाइज में शामिल होंगे. इसमें स्पोर्टस्, योग, खेल, मार्शल आर्ट्स, डांस, बागाबानी और भी तमाम चीजें स्थानीय स्तर पर टीचर्स और सुविधाओं की उपलब्धता के आधार पर शामिल किया जाएगा.
राज्य स्कूल रेग्युलेटरी अथॉरिटी
राज्य स्तरीय स्वतंत्र स्टेट स्कूल रेग्युलेटरी अथॉरिटी बॉडी को बनाया जाएगा. यह इकाई हर राज्य के लिए होगी.
नेशनल रिसर्च फाउंडेशन
एक नेशनल रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की जाएगी ताकि अलग अलग क्षेत्रों में रिसर्च के प्रस्तावों की फंडिंग की जा सके.
राष्ट्रीय शिक्षा आयोग
नई शिक्षा नीति के तहत राष्ट्रीय शिक्षा आयोग भी बनाया जाएगा. भारत के प्रधानमंत्री इसकी अध्यक्षता करेंगे. यह देश में शिक्षा के विकास, मूल्यांकन और नीतियों लागू करने का काम करेगा.