केंद्र सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम (K. Subramanian) का तीन वर्षीय कार्यकाल पूरा हो गया है. उन्होंने शुक्रवार को घोषणा की है कि वो अपने पद से हट रहे हैं. एक स्टेटमेंट के जरिए उन्होंने कहा, ‘मैं अकादमिक क्षेत्र में वापस लौटना चाहता हूं. भारत सरकार के साथ मुख्य आर्थिक सलाहकार के तौर पर मेरा तीन वर्षीय कार्यकाल पूरा हो गया है.’ बता दें सुब्रमण्यम को दिसंबर 2018 में मुख्य आर्थिक सलाहकार बनाया गया था. उनसे पहले इस पद पर अरविंद सुब्रमण्यन (Arvind Subramanian) थे.
मुख्य सलाहकार बनने के पहले कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस में प्रोफेसर के तौर पर कार्यरत थे. उन्होंने शिकागो बूथ से पीएचडी की है. वो बैंकिंग, कॉर्पोरेट गवर्नेंस और इकोनॉमिक पॉलिसी के एक्सपर्ट हैं. उनका भारत के बैंकिंग सुधारों में बड़ा योगदान है. कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम सेबी और रिजर्व बैंक की कई कमेटी में शामिल रहे हैं. इसके अलावा सुब्रमण्यम बंधन बैंक के बोर्ड में भी शामिल थे.
क्या होता है आर्थिक सलाहकार का काम
सीईए आम तौर पर फाइनेंस मिनिस्टर को मैक्रो इकोनॉमिक मामलों और छमाही विश्लेषण व इकोनॉमिक सर्वे सहित कई प्रमुख जिम्मेदारियों में सलाह देने का काम करते हैं. आर्थिक सर्वेक्षण तैयार करने की जिम्मेदारी भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार और उनकी टीम की होती है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री सीतारमण की तारीफ
उन्होंने अपने नोट में लिखा है- ‘मुझे केंद्र सरकार से बेहतरीन सपोर्ट मिला है. वरिष्ठ पदाधिकारों के साथ गर्मजोशी से भरे संबंधों के लिए खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं. मेरे तीन दशक के प्रोफेशनल करियर के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबसे प्रेरणादायी नेतृत्वकर्ता हैं.’ इसके अलावा सुब्रमण्यम ने देश की वित्त मंत्री को निर्मला सीतारमण को ‘हृदय से स्कॉलर’ कहा है.