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विधानसभा चुनावों से पहले AAP ने कसी कमर, ‘देशभक्ति’ और ‘रामराज्य’ हैं केजरीवाल के नए हथियार

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 ‘हमने दिल्ली को बदल दिया है… मैंने ईश्वर के साथ समझौता किया है कि जब तक मैं अपने देश को दुनिया में नंबर वन नहीं देख लेता, उससे पहले नहीं मरूंगा.’ ये बयान दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) का है, जिन्होंने 4 अप्रैल 2021 को हरियाणा (Haryana) के जींद में किसानों की महापंचायत में दिया था. केंद्र के तीन कृषि कानूनों (Farm Laws) की वापसी की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे किसानों से केजरीवाल ने अपील करते हुए आखिरी तक लड़ाई लड़ने की अपील की थी और लोगों को आश्वासन दिया था कि वे ‘दस साल पहले वाले केजरीवाल’ ही हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री का संकेत अपने भ्रष्टाचार विरोधी अभियान की तरफ था, जिसने उन्हें राजनीतिक वजन दिया और दिल्ली की सत्ता में बिठा दिया.

बीते नवंबर से दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शन कर किसानों से अरविंद केजरीवाल ने उनके हित में उठाए गए कदमों को गिनाया और कहा कि उनकी सरकार ने लंगर के साथ वाटर टैंक और शौचालय की व्यवस्था भी की है. केंद्र सरकार के दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र शासन (संशोधन) अधिनियम, 2021 का हवाला देते हुए केजरीवाल ने कहा था, ‘किसानों के आंदोलन का समर्थन करने के लिए हमने बड़ी कीमत चुकाई है. वे (बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्रीय सरकार) हमें इसके लिए परेशान कर रहे हैं. उन्होंने ऐसा कानून पास किया है कि दिल्ली में एक चुनी हुई सरकार, और चुने हुए मुख्यमंत्री के पास कोई ताकत नहीं बची है. सारी शक्तियां उप-राज्यपाल को मिल गई है. क्या इसी के लिए आजादी का आंदोलन हुआ था.’ दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र शासन (संशोधन) अधिनियम, 2021 उपराज्यपाल को शक्ति प्रदान करता है और उपराज्यपाल केंद्रीय गृह मंत्रालय को रिपोर्ट करते हैं.

संक्षेप में कहें तो केजरीवाल ने अपनी लाइन सीधी रखी; बीजेपी नीत केंद्र सरकार पर सीधा हमला बोला है. अपनी सरकार के रास्ते में रोड़ा अटकाने का उन पर आरोप लगाया और किसानों के आंदोलन का समर्थन किया. इसके बाद सबसे महत्वपूर्ण ये कि केजरीवाल ने खुद को देशभक्त घोषित कर दिया. विशेषज्ञों का मानना है कि आम आदमी पार्टी की स्ट्रैटजी बीजेपी के प्लेबुक से निकली है और उसी पर हमला करने के लिए इस्तेमाल की गई. केजरीवाल ने कहा कि जो लोग किसान आंदोलन के साथ हैं, वे देशभक्त हैं और जो किसानों के आंदोलन के खिलाफ हैं, वे गद्दार हैं.

दरअसल केजरीवाल का खुद को देशभक्त घोषित करना, 9 वर्षीय आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं का संकेत है. जनवरी में आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में केजरीवाल ने ऐलान किया कि उनकी पार्टी आगामी 6 राज्यों में विधानसभा चुनाव लड़ेगी. पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, हिमाचल प्रदेश और गुजरात, जहां अगले साल चुनाव होने हैं. पिछले कुछ महीनों से इन राज्यों में केजरीवाल के दौरे आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं को स्पष्ट तौर पर दर्शाते हैं.

और देशभक्ति पहला की-वर्ड है, जिसे लेकर AAP को उम्मीद है कि इससे राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने में मदद मिलेगी. 75वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अरविंद केजरीवाल ने ऐलान किया कि उनकी सरकार दिल्ली के स्कूलों में देशभक्ति का पाठ्यक्रम लागू करेगी. दिल्ली सरकार के देशभक्ति पाठ्यक्रम के बारे में बताते हुए केजरीवाल ने कहा कि इसके तीन उद्देश्य हैं. पहला कि बच्चे अपने देश के बारे में गर्व महसूस करें, अपनी जिम्मेदारियों और कर्तव्यों के प्रति जिम्मेदार बनें. साथ ही भारत की समस्याओं का हल ढूंढ़ने के लिए त्याग खातिर खुद को तैयार करें.

और अब आम आदमी पार्टी ने राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण उत्तर प्रदेश की हर विधानसभा में तिरंगा यात्रा निकालमे का ऐलान किया है. पहली तिरंगा यात्रा रविवार को आगरा में आयोजित की जाएगी. इसके बाद 14 सितंबर को अयोध्या में तिरंगा यात्रा शेड्यूल है.

देशभक्ति के बाद आम आदमी पार्टी ने अपनी रणनीति में एक नया चैप्टर जोड़ा है, और वह कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है – रामराज्य. ये वो विचार हैं, जिनके साथ आम आदमी पार्टी अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करना चाहती है. साथ ही केजरीवाल का डेवलपमेंट मॉडल भी है, जोकि जनता के मुफ्त सुविधाओं पर आधारित है. जैसे कि फ्री पानी और बिजली, साथ ही फ्री वाई-फाई भी, महिलाओं के फ्री बस सुविधा और बढ़िया स्कूल के साथ बेहतरीन अस्पताल भी.

केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा के बजट सत्र में रामराज्य स्थापित करने का वादा किया था, इस मौके पर केजरीवाल ने बुजुर्गों के लिए अयोध्या स्थित राम मंदिर तक फ्री तीर्थयात्रा का आश्वासन दिया था. राम मंदिर का निर्माण अभी चल रहा है.

केजरीवाल राजनीतिक रूप से संवेदनशील शब्दों का इस्तेमाल करके उन विधानसभा क्षेत्रों को अपनी ओर खींचना चाह रहे हैं, जहां बीजेपी की पकड़ है. उन्होंने कहा कि विपक्षी पार्टियां, बीजेपी के दबदबे वाले राजनीतिक स्पेस में अपनी जगह बनाने के लिए रास्ता ढूंढ़ रही हैं. चौधरी ने कहा कि केजरीवाल ने कोई मुस्लिम विरोधी बयान नहीं दिया है, लेकिन रामराज्य पर उनका फोकस शक पैदा कर सकता है. हालांकि ऐसा प्रतीत होता है कि आम आदमी पार्टी ये रिस्क लेने को तैयार है.

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