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तालिबान से जुड़े हक्कानी नेटवर्क को लेकर है भारत की बड़ी चिंता, जानें वजह

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अफगानिस्तान पर तालिबान के क़ब्ज़े (Taliban Rules Afghanistan) के बाद पूरी दुनिया के साथ-साथ भारत की चिंता भी बेहद बढ़ गई है. तालिबान के साथ दुनिया के दो सबसे खतरनाक आतंकी संगठन का कनेक्शन है. पहला हक्कानी नेटवर्क (Haqqani Network) और दूसरा अलकायदा. हक्कानी नेटवर्क एक अलग संगठन है, लेकिन काम वो तालिबान के लिए करता है. तालिबान के ज्यादातर लड़ाके हक्कानी के ही है, जबकि अलकायदा से तालिबान का पुराना रिश्ता है. साल 2001 में अलकायदा के चक्कर में ही अमेरिका ने तालिबान को अफगानिस्तान से खदेड़ दिया था. दरअसल 9/11 हमले के बाद अमेरिका को अलकायदा के फाउंडर ओसामा बिन लादेन की तलाश थी, लेकिन तालिबान ने लादेन को अफगानिस्तान में पनाह दे रखी थी.

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के साथ ही हक्कानी नेटवर्क हरकत में आ गई है. इस नेटवर्क ने फिलहाल काबुल में सुरक्षा की ज़िम्मेदारी संभाल रखी है. इसके अलावा ये नेटवर्क तालिबान की नई सरकार में भी भागीदार बन रहा है. लिहाज़ा भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया की चिंता बढ़ गई है. अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी इस पर चिंता जताई. पिछली बार जब तालिबान 1996 से लेकर 2001 तक सत्ता में था तो भारत ने इस सरकार को मान्यता नहीं दी थी. 

क्या है हक्कानी नेटवर्क?
>>इस साल जून में संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि हक्कानी नेटवर्क युद्ध में तालिबान की सबसे अधिक मदद करने वाली सेना है. इसके लड़ाके काफी कुशल हैं. बड़े हमले करने में ये ग्रुप माहिर है. इसमें शामिल लड़ाके एक्सप्लोसिव डिवाइस और रॉकेट भी तैयार करते हैं.

>>रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि ये नेटवर्क सीधे तालिबान सुप्रीम काउंसिल को रिपोर्ट करता है. हक्कानी नेटवर्क के नेता सिराजुद्दीन हक्कानी तालिबान का हिस्सा हैं. तालिबान के सर्वोच्च नेता,अमीर अल-मुमिनिन हैबतुल्ला अखुंदज़ादा के बाद सिराजुद्दीन को ही सबसे ज्यादा ताकतवर माना जाता है.

>>हक्कानी नेटवर्क सिराजुद्दीन के पिता जलालुद्दीन हक्कानी द्वारा बनाया गया था और अफगान प्रतिरोध के सबसे महत्वपूर्ण नेताओं में से एक था. ये 1979 में सोवियत कब्जे के खिलाफ लड़े थे. जलालुद्दीन, ओसामा बिन लादेन के भी करीबी थी. लादेन सोवियत संघ के खिलाफ लड़ने के लिए जिहाद के आह्वान पर अफगानिस्तान पहुंचे थे.

>>2018 में जलालुद्दीन की मौत के बाद हक्कानी नेटवर्क का नेतृत्व अब सिराजुद्दीन कर रहा है.

हक्कानी की तालिबान में भूमिका
>> पिछले दिनों सिराजुद्दीन के भाई अनस हक्कानी को तालिबान द्वारा सरकार बनाने के प्रयासों के तहत पूर्व अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई और अन्य वरिष्ठ सरकारी नेताओं के साथ बातचीत करते हुए देखा गया था

>>इसके अलावा, अब काबुल में सुरक्षा के प्रभारी खलील हक्कानी हैं, जो समूह के एक अन्य वरिष्ठ नेता हैं. अमेरिका ने उन पर इनाम रखा था.

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