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मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों को हरेली तिहार की दी शुभकामनाएं

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मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने प्रदेशवासियों को हरेली तिहार की बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। आज यहां हरेली की पूर्व संध्या पर जारी अपने शुभकामना संदेश में श्री बघेल ने कहा है कि हरेली तिहार पर हम अच्छी फसल की कामना के साथ खेती-किसानी से जुड़े औजारों और गोधन की पूजा कर धरती माता का भरण पोषण के लिए आभार व्यक्त करते हैं। यह छत्तीसगढ़ के जन-जीवन में रचा-बसा खेती-किसानी से जुड़ा पहला त्यौहार है।
श्री बघेल ने कहा कि गांव-गांव में हरेली का पर्व बड़े उत्साह और उमंग से मनाया जाता है। नागर, गैंती, कुदाली, फावड़ा समेत कृषि के काम आने वाले सभी तरह के औजारों की साफ-सफाई और पूजा की जाती है। पारंपरिक तरीके से लोग गेड़ी चढ़कर हरेली की खुशियां मनाते हैं। प्राचीन मान्यता अनुसार सुरक्षा के लिए घरों के बाहर नीम की पत्तियां लगाई जाती हैं। छत्तीसगढ़ की इस गौरवशाली संस्कृति और परम्परा को सहेजने के लिए राज्य सरकार ने हरेली त्यौहार के दिन सार्वजनिक अवकाश घोषित किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा है कि राज्य सरकार ने पिछले साल हरेली के त्यौहार पर प्रदेशवासियों के लिए देश की अपनी तरह की पहली अनूठी योजना ‘गोधन न्याय योजना’ का शुभारंभ किया है। योजना के तहत सरकार ने किसानों और पशुपालकों से दो रुपए किलो की दर से गोबर खरीदी कर ग्रामीणों के लिए आय का एक नया जरिया तैयार किया है। खरीदे गए गोबर से गौठानों में महिला समूह वर्मी कम्पोस्ट तैयार कर रहे हैं, जिसका उपयोग खेतों और बाड़ियों की उर्वरता बढ़ाने में किया जा रहा है। इस योजना नेे न केवल किसानों, पशुपालकों, महिलाओं की आय बढ़ाई बल्कि इससे जैविक खेती को बढ़ावा मिल रहा है। इससे पशुधन के संरक्षण, संवर्धन और तरक्की की राह भी खुली है।

श्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में नरवा, गरवा, घुरवा, बारी योजना, गोधन न्याय योजना, और रोका-छेका अभियान लागू कर पारंपरिक संसाधनों को पुनर्जीवित कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाया जा रहा है। गौठानों को ग्रामीण आजीविका केंद्र के रूप में विकसित किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने पुराने तरीकों और परंपराओं को आधुनिक जरूरतों और वर्तमान परिस्थितियों के अनुसार उपयोगी बनाकर नई पीढ़ी से जोड़ने की पहल की है। इससे राज्य में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज्य का सपना मूर्त रूप ले रहा है। उन्होंने आशा व्यक्त की है कि प्रदेशवासी अपने पारंपरिक मूल्यों को सहेजते हुए गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ की परिकल्पना को साकार करने में सहभागी होंगे।

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