संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के नवनिर्वाचित अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद ने शुक्रवार को पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि विश्व की बड़ी आबादी की आकांक्षाओं और वर्तमान वास्तविकताओं के मद्देनजर बहुपक्षीय प्रणाली में सुधार के महत्व पर जोर देते हुए दोनों नेताओं ने मुलाकात किया है. शाहिद मालदीव के विदेश मंत्री भी हैं. वे संयुक्त राष्ट्र महासभा की 76वीं आमसभा के लिए अध्यक्ष निर्वाचित हुए हैं. 76 वीं आमसभा के लिए न्यूयॉर्क मुख्यायलय में 7 जुलाई को अध्यक्ष पद के चुनाव हुआ था.
पीएम ने अध्यक्ष चुने जाने पर बधाई दी
पीएम मोदी ने अब्दुल्ला शाहिद को महासभा के अध्यक्ष निर्वाचित होने पर बधाई दी और मालदीव के विश्व पटल पर उभरने को रेखांकित किया. पीएम ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र के लिए अध्यक्ष निर्वाचित किए गए अब्दुल्ला शाहिद से मुलाकात कर बेहद खुशी हुई. उनके कार्यकाल के लिए मेरी शुभकामनाएं. हमारी ‘पड़ोसी प्रथम’ की नीति के प्रमुख स्तंभ के रूप में मालदीव के लिए भारत की प्रतिबद्धता को मैंने फिर से दोहराया. पीएमओ ने कहा कि प्रधानमंत्री ने ‘उम्मीद की अध्यक्षता’ का दूरदर्शी बयान देने के लिए शाहिद का सम्मान किया और उन्हें आश्वस्त किया कि उनके कार्यकाल के दौरान भारत उन्हें अपना पूरा सहयोग और समर्थन देगा.
पीएम मोदी से मुलाकात सौभाग्य की बात
प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र के अंगों सहित बहुपक्षीय तंत्रों के सुधार के महत्व पर जोर दिया और कहा कि विश्व की वर्तमान वास्तविकता और विश्व की बहुत बड़ी आबादी की आकांक्षाओं को दर्शाने के लिए यह जरूरी है. दोनों नेताओं ने भारत-मालदीव के द्विपक्षीय संबंधों में हाल में आई तेजी की भी समीक्षा की.
भारत ने जो कुछ हमारे लिए किया, हम उसका जश्न मनाते हैं
मालदीव के विदेशमंत्री अब्दुल्ला शाहिद ने कहा कि पूर्ववर्ती शासन के कुछ तत्व उनके देश में भारतीय मिशन के खिलाफ नफरत फैला रहे हैं. उन्होंने कहा कि ये तत्व संख्या में अल्पसंख्यक हैं, देश में भारत की मदद से चल रहे बड़े प्रोजेक्टों से असंतुष्ट हैं, इसलिए अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए ऐसा कर रहे हैं. भारत और चीन से मिलने वाली सहायता की तुलना पर शाहिद ने कहा कि भारत हमेशा से आवश्यकता के समय सबसे पहले मदद करने वालों में रहा है. यहां तक कोरोना महामारी संकट के दौरान भी सबसे पहले वही मदद के लिए आगे आया. उसने चीन के वुहान से मालदीव के छात्रों को निकालने में सहायता की. भारत ने डॉक्टरों और मेडिकल उपकरण भेजे. उसने 250 मिलियन डॉलर की सहायता दी. साथ ही अपने यहां टीकाकरण शुरू करने के 48 घंटे के अंदर हमें वैक्सीन उपलब्ध कराई. हमें इसकी तुलना अन्य देशों से नहीं करनी चाहिए क्योंकि भारत ने जो कुछ भी हमारे लिए किया, हम उसका जश्न मनाते हैं.