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बंद कमरे में रमेश बैस और डॉ. रमन सिंह की मुलाकात से खुल रहे हैं कई सियासी मायने

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छत्तीसगढ़ बीजेपी की राजनीति में रविवार को उस वक्त एक नई तस्वीर देखने को मिली, जब त्रिपुरा के राज्यपाल और पूर्व केंद्रीय मंत्री सहित छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ बीजेपी नेता रह चुके रमेश बैस से मिलने पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह पहुंचे. इन दोनों के बीच बंद कमरे में करीब 40 मिनट तक चर्चा भी हुई, जिसके कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. दरअसल केंद्र से लेकर प्रदेश बीजेपी तक में बदलाव की चर्चाओं के बीच इन दोनों नेताओं का मिलना कई सियासी समीकरण की ओर इशारा कर रहा है.

इस तरह से आई नई सियासी तस्वीर

रमेश बैस छत्तीसगढ़ राजनीति में एक ऐसा नाम है जो रायपुर लोकसभा सीट से 7 बार सांसद रहे, अटल बिहारी सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे और मौजूदा समय में त्रिपुरा राज्य के राज्यपाल हैं. इनसे मिलने अगर छत्तीसगढ़ में पंद्रह सालों तक मुख्यमंत्री रहने वाले डॉ रमन सिंह पहुंच जाएं, तो राजनीतिक चर्चाओं का बाजार गर्म तो होगा ही. वह भी तब जब वर्चस्व को लेकर दोनों नेताओं के बीच कई सालों से चला आ रहा द्वंद्व युद्ध किसी से छुपा नहीं है. अब इन दोनों नेताओं के बीच अचानक हुई इस मुलाकात के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. दोनों के बीच बंद कमरे में 40 मिनट की चर्चा को इस बात से भी जोड़ा जा रहा है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल हो या फिर छत्तीसगढ़ बीजेपी में चेहरा बदलने की सुगबुगाहट – दोनों ही मौके पर डॉ रमन सिंह का नाम प्रमुख है. ऐसे में बंद कमरे के भीतर क्या बातचीत हुई यह तो पता नहीं चल सका. मगर मुलाकात के बाद डॉ रमन सिंह ने मुस्कुराते हुए जिस अंदाज में सवालों के जवाब दिए, वे यह बताने के लिए काफी हैं कि बीजेपी के भीतरखाने कुछ तो चल रहा है.

मुलाकात के बाद मीडिया से चर्चा

बहरहाल मुलाकात के बाद मीडिया से चर्चा करते हुए डॉ रमन सिंह ने कहा कि किसी भी तरह के बदलाव का पूर्ण अधिकार आला कमान का होता है. हम तो छोटे कार्यकर्ता हैं और छत्तीसगढ़ की राजनीति को देख रहे हैं. डॉ रमन सिंह ने जो सबसे अहम बात कही, वह यह कि हम तो छत्तीसगढ़ की राजनीति में वृक्षारोपण कर रहे हैं. दरअसल बीजेपी इन दिनों प्रदेशभर में वृक्षारोपण अभियान चला रही है और पूर्व सीएम डॉ रमन सिंह उसमें बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं.

मुलाकात के मायने क्या

कहते हैं सियासत में कुछ भी असंभव नहीं है. और मौजूदा राजनीतिक समय में तो यह कहावत और अधिक बलवति हो रही है. क्योंकि देशभर में राजनीति के जैसे-जैसे समीकरण बनते-बिगड़ते देखने को मिल रहे हैं कि कब क्या हो जाए यह कहना मुश्किल लगता है. बहरहाल डॉ रमन सिंह के नाम और चेहरे को लेकर सूबे की सियासत से लेकर दिल्ली दरबार तक में हलचल तेज है. ऐसे में आने वाला वक्त ही तय करेगा कि रमन और रमेश के मुलाकात के मायने क्या हैं.

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