कोरोना का डेल्टा प्लस वेरिएंट (Corona Delta Plus Variant) कितना खतरनाक होगा, फिलहाल इस बारे में डॉक्टर्स को भी कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है. एम्स के डॉक्टर शुभ्रदीप कर्माकर ने कहा कि डेल्टा प्लस (Delta Plus) में अतिरिक्त म्यूटेंट K417N है, जो डेल्टा (B.1.617.2) को डेल्टा प्लस में बदल देता है. उन्होंने कहा कि ऐसी अटकलें हैं कि यह म्यूटेंट अधिक संक्रामक है और यह अल्फा संस्करण की तुलना में 35-60% अधिक संक्रामक है. लेकिन भारत में इसकी संख्या बहुत कम है. ये अभी भी चिंता का सबब नहीं है और इसके संक्रमण के मामले अभी भी कम हैं.
बायोकेमेस्ट्री विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर शुभ्रदीप कर्माकर ने कहा कि प्रत्येक वेरिएंट अलग तरह के क्लिनिकल रिस्पॉन्स के साथ आता है. पिछले वेरिएंट में ऑक्सीजन लेवल कम हो रहा था लेकिन हमें नहीं पता है कि डेल्टा प्लस वेरिएंट क्या लेकर आएगा. बता दें देश में कोरोना के इस नए वेरिएंट के नए मामले देखने को मिल रहे हैं. अब तक महाराष्ट्र में कोविड-19 के अत्यधिक संक्रामक स्वरूप ‘डेल्टा प्लस’ के अभी तक 21 मामले सामने आ चुके हैं. वहीं केरल के दो जिलों- पलक्कड़ और पथनमथिट्टा से एकत्र किए गए नमूनों में सार्स-सीओवी-2 डेल्टा-प्लस स्वरूप के कम से कम तीन मामले पाए गए हैं.
वायरस का यह नया स्वरूप ‘डेल्टा प्लस’ भारत में सबसे पहले सामने आए ‘डेल्टा’ या ‘B.1.617.2’ स्वरूप में ‘उत्परिवर्तन’ से बना है. भारत में संक्रमण की दूसरी लहर आने की एक वजह ‘डेल्टा’ भी था.
पिछले सप्ताह केंद्र सरकार ने कहा था कि कोरोना वायरस का डेल्टा प्लस स्वरूप अभी तक चिंताजनक नहीं है और देश में इसकी मौजूदगी का पता लगाना होगा और उस पर नजर रखनी होगी. नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वी के पॉल ने संवाददाताओं से कहा कि डेल्टा प्लस नामक वायरस का नया स्वरूप सामने आया है और यह यूरोप में मार्च महीने से है. कुछ दिन पहले ही इसके बारे में जानकारी सार्वजनिक हुई.
पॉल ने कहा, ‘‘इसे अभी चिंताजनक प्रकार के रूप में वर्गीकृत नहीं किया गया है. चिंता वाला स्वरूप वह होता है जिसमें हमें पता चले कि इसके प्रसार में बढ़ोतरी से मानवता के लिए प्रतिकूल प्रभाव होते हैं. डेल्टा प्लस स्वरूप के बारे में अब तक ऐसा कुछ ज्ञात नहीं है. लेकिन डेल्टा स्वरूप के प्रभाव और बदलाव के बारे में हमारे आईएनएसएसीओजी प्रणाली के माध्यम से वैज्ञानिक तरीके से नजर रखनी होगी. इसका पता लगाना होगा और देश में इसकी मौजूदगी देखनी होगी.’’आईएनएसएसीओजी भारत में सार्स-सीओवी-2 के जीनोम संबंधी विश्लेषण से जुड़ा संघ है जिसका गठन सरकार ने पिछले साल दिसंबर में किया था.