Home शिक्षा भारतीय नौसेना की पनडुब्बियां: रोचक तथ्य, श्रेणियां और उपलब्धियां यहां जानिए

भारतीय नौसेना की पनडुब्बियां: रोचक तथ्य, श्रेणियां और उपलब्धियां यहां जानिए

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भारतीय नौसेना में 10 मार्च, 2021 को एक और पनडुब्बी आईएनएस करंज कमीशन की गई। यह भारतीय नौसेना की ऐसी तीसरी पनडुब्बी है जो परमाणु हमला करने में सक्षम है। आईएनएस करंज भारतीय नौसेना के कलवरी प्रोजेक्ट-75 के तहत निर्मित छह स्कोर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों में से एक है। इस श्रेणी की पहली पनडुब्बी आईएनएस कलवरी को 14 दिसंबर, 2017 को कमीशन किया गया था। इसके बाद आईएनएस खंडेरी 28 सितंबर, 2019 को कमीशन किया गया था। गौरतलब है कि देश की सुरक्षा योजना को ध्यान में रखते हुए स्कोर्पीन कलवरी श्रेणी में छह पनडुब्बियों को शामिल किया जाना हैं। इनमें से तीन को कमीशन मिल चुका है। जबकि तीन पनडुब्बियों की कमीशनिंग होना बाकी है। इस श्रेणी की दो अन्य पनडुब्बियां आईएनएस वेला 06 मई, 2019 और वागीर 12 नवंबर, 2020 को लॉन्च हो चुकी हैं। लेकिन इन्हें अभी नौसेना में शामिल नहीं किया गया है। इसका मतलब ऐसा नहीं है कि भारतीय नौसेना के पास अभी सिर्फ तीन ही पनडुब्बियां हैं। दरअसल, यह तीन पनडुब्बियां स्कोर्पीन कलवरी श्रेणी की है। नौसेना के पास बाकी कईं अन्य श्रेणियों की भी पनडुब्बियां हैं।

नौसेना की पनडुब्बी शाखा से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

पनडुब्बियों की शाखा के अग्रणी- पनडुब्बियों के प्रथम समूह के प्रशिक्षुओं को 1962 में एचएमएस डॉल्फिन में प्रशिक्षण दिया गया।
कमीशन की जाने वाली पहली भारतीय पनडुब्बी आईएनएस कलवरी है। इसे 08 दिसंबर, 1967 कमांडर केएस सुब्रह्मणियम के अधीन कमीशन किया गया था।
1971 के युद्ध में भाग लेने वाली तीन पनडुब्बियों में कमांडर वीएस शेखावत के अधीन आईएनएस करंज, कमांडर ए ऑदित्तो के अधीन आईएनएस कुरसुरा और कमांडर रॉय मिलन के अधीन आईएनएस खंडेरी थी।
सिंधुघोष वर्ग की पहली पनडुब्बी आईएनएस सिंधुघोष 30 अप्रैल, 1986 को कमांडर केसी वर्गीस के अधीन कमीशन किया गया।
एसएसके यानी शिशुमार वर्ग की पहली पनडुब्बी आईएनएस शिशुमार को 22 सितंबर, 1986 को कमांडर पीएम भाटे के अधीन कमीशन किया गया।
भारतीय नौसेना के ध्वज के तहत नाभिकीय शक्ति वाली पहली पनडुब्बी आईएनएस चक्र का प्रचालन जनवरी 1988 से जनवरी 1991 के बीच कैप्टन आरएन गणेश के अधीन किया गया।
पहली स्वदेशी एसएसके यानी शिशुमार वर्ग की पनडुब्बी आईएनएस शाल्की का निर्माण कमांडर केएन सुशील के अधीन एमडीएल (एमबी) में 06 फरवरी, 1992 को पूरा किया गया था।
मिसाइल युक्त पहली पनडुब्बी आईएनएस सिंधुशस्त्र 19 जुलाई, 2000 को कमांडर आर सरीन के अधीन कमीशन की गई।
पहली सबमरीन मिसाइल आईएनएस सिंधुशस्त्र 22 जून, 2000 को रूसी द्वीप से लॉन्च किया गया।
पनडुब्बी कमीशनिंग पहला सबमरीन बेस आईएनएस वीरबाहु को 19 मई, 1971 को कमांडर केएस सुब्रह्मणियम के अधीन कमीशन किया गया था।
देश के पहले पनडुब्बी प्रशिक्षण प्रतिष्ठान आईएनएस सातवाहन को 21 दिसंबर 1974 को कमांडर केएन दुबाश के अधीन कमीशन किया गया था।

इनके नाम ये हैं पहले रिकॉर्ड

कमांडर एमएन सामंत महावीर चक्र पुरस्कार पाने वाले पहले पनडुब्बी चालक थे।
कमांडर वीएस शेखावत वीर चक्र पुरस्कार पाने वाले पहले पनडुब्बी चालक थे।
एडमिरल वीएस शेखावत ने पनडुब्बी शाखा से देश का पहला नौसेना प्रमुख बनने का गौरव प्राप्त किया।
कैप्टन बीके डांग 06 जनवरी, 1966 को पनडुब्बी हथियार शाखा के पहले निदेशक (डीएसए) बने थे।
कमांडर बीएस उप्पल 01 जुलाई, 1986 को भारतीय नौसेना के पहले पनडुब्बी प्रचालन के निदेशक (डीएसओ) बने थे।
रियर एडमिरल ए ऑदित्तो 01 अप्रैल, 1987 को भारतीय नौसेना के पहले फ्लैग ऑफिसर-पनडुब्बी बने थे।
रियर एडमिरल एके सिंह 14 अक्तूबर, 1996 को पहले सहायक नौसेना प्रमुख-सबमरीन बने थे।
कैप्टन आरएन गणेश नाभिकीय पनडुब्बी आईएनएस चक्र के प्रथम नियंत्रक और चालक थे।
पनडुब्बी चालक रहे कैप्टन आरएन गणेश के नाम नौसेना के पहले विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत के नियंत्रक और चालक होने का भी रिकॉर्ड है।

देश की पहली पनडुब्बी आईएनएस कुरसुरा, जो अब बन गई संग्रहालय
कमांडर ए. ऑदित्तो के आदेश के तहत 18 दिसंबर, 1969 को आईएनएस कुरसुरा रीगा को पूर्व सोवियत संघ (अब रूस) में कमीशन किया गया था। इस पनडुब्बी ने 20 फरवरी, 1970 को बालरिस्क से अपने मार्ग पर आगे बढ़ना शुरू किया। भारतीय नौसेना में कुरसुरा के कमीशन से इसके तीसरे आयाम की वृद्धि देखी गई। यह भारतीय नौसेना पनडुब्बी शाखा की नींव का पत्थर थी। आईएनएस कुरसुरा को 27 फरवरी, 2001 को डिकमीशन किया गया था। इसके बाद यह संग्रहालय में तब्दील कर दी गई।

भारत-पाक युद्ध में अहम योगदान
आईएनएस कुरसुरा ने 1971 के भारत – पाक युद्ध में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई था। इस पनडुब्बी ने अपनी अग्रणी यात्राओं और दूसरे देशों में ध्वज दर्शन के मिशन के माध्यम से सद्भावना और सौहार्द का विस्तार किया था। अपने लंबे सफर में, आईएनएस कुरसुरा के 13 बार चालक बदले थे। कमांडर केएम श्रीधरन इसके अंतिम कमांडिंग अधिकारी रहे हैं। अपनी सेवा के 31 गौरवशाली वर्षों के दौरान इस पनडुब्बी ने 73,500 समुद्री मील की दूरी तय करते हुए लगभग सभी प्रकार के नौसेना संचालन में भाग लिया।

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