बेटी तो होनी ही चाहिए, बेटियां सृजन का उपहार हैं : नीलम चंद सांखला |
रायपुर 8-मार्च 2021: छत्तीसगढ़ मानव अधिकार आयोग और शासकीय काव्योपाध्याय हीरालाल स्नातकोत्तर महाविद्यालय, अभनपुर के संयुक्त तत्वाधान में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च महिला दिवस के अवसर पर वेबिनार का आयोजन किया गया|
छत्तीसगढ़ मानव अधिकार आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष श्री गिरिधारी नायक एवं सदस्य श्री नीलम चंद सांखला द्वारा “महिला सशक्तिकरण में मानव अधिकार की भूमिका” पर अपने विचार प्रस्तुत किये गए, कार्यक्रम का प्रारंभ करते हुए महाविद्यालय की सहायक प्राध्यापक व एन.एस.एस प्रभारी डॉ मलिका सुर ने कहा कि “यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:” प्रारंभिक परिचय के पश्चात् वेबिनार के प्रमुख वक्ता श्री नीलम चंद सांखला ने कहा कि हमारे सृजन की देवी महिला ही है, जिसे हम माँ के रूप में जानते और पूजते हैं| अपने उदबोधन में उन्होंने कहा कि “ एक बेटी तो होनी ही चाहिए, अपनी बेटी को जन्म दिन पर क्या उपहार दूँ, उस विधाता ने मुझे दुनिया के सृजन का उपहार दिया है”| उन्होंने कहा कि महिलाओं को उनके अधिकारों की जानकारी व विधिक साक्षर होना आवश्यक है, भ्रूण हत्या, महिलाओं का कार्यस्थल पर प्रताड़ना सहित दहेज़ आदि व्यावारिक समस्याओं पर श्री सांखला ने विस्तार से अपनी बात रखी|
कार्यक्रम के अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ मानव अधिकार आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष श्री गिरिधारी नायक, ने विचार प्रगट करते हुए कहा कि “मजबूत नारी शक्ति ही मजबूत राष्ट्र का निर्माण करती है”| उन्होंने पौराणिक समय से स्त्रियों के देवी स्वरुप की व्याख्या करते हुए तीन शब्द “श्रीं… ह्रीं… क्लीं.. के बारे में उदबोधन में बताया कि मातृशती के नमन में भक्ति पूर्व से विद्यमान है,पाश्चात्य लेखक आल्विन डफलर ने भी भारतीय महिलाओं के लिए इस शक्ति को नमन किया है, स्त्री कैसे ज्ञान, धन और शक्ति स्वरूपा है, इस बात पर भी श्री नायक ने प्रकाश डाला| छत्तीसगढ़ की पदमश्री फूलबासन बाई का जिक्र करते हुए, कार्यवाहक अध्यक्ष ने कहा कि महाविद्यालय व इस कार्यक्रम को सुनने वाली समस्त नारी शक्ति के लिए फूलबासन बाई उदाहरण हैं, उन्होंने अपनी असीमित शक्ति का परिचय देते हुए गांव में महिला स-शक्तिकरण के लिए स्व-सहायता समूहों के माध्यम से कार्य किया, शराबबंदी, स्व-रोजगार और गांव के उत्थान के लिए उनके किये गए कार्य से प्रेरणा लेकर छात्राओं को अपने-अपने क्षेत्र में काम करना चाहिए, छात्रायें उनका अनुसरण कर सकती हैं| महिलाओं को भय-मुक्त होना आवश्यक है, ताकि सामाजिक समस्याओं का, वे निडरता से सामना कर, उससे बाहर आ सकें | नारियों पर अत्याचार, जन्म से लेकर मृत्युपर्यंत सम्पूर्ण विश्व में देखे जाते है, महिलाओं को अधिकारों के लिए लड़ना आवश्यक है, या कहा जाये कि इन Rights के लिए fight जरुरी है| घटनाओं को रोकने महिला एवं पुरुष दोनों की जिम्मेदारी बराबर की है, उन्होंने कहा कि छात्राओं को कानूनी ज्ञान महाविद्यालय द्वारा अवश्य बताया जाना चाहिए|
कार्यक्रम में आभार प्रगट करते हुए प्राध्यापक डॉ. पत्रम साहू ने कहा कि महिलाओं के प्रति समाजों में भी चेतना आई है, कई समाज सामूहिक विवाह से पहले यह सुनिश्चित करते हैं, कि वधु के रूप में शामिल होने वाली बालिका की उम्र अठारह वर्ष से कम तो नहीं है|
वेबिनार में छत्तीसगढ़ मानव अधिकार आयोग के श्री गिरिधारी नायक कार्यवाहक अध्यक्ष, सदस्य श्री नीलम चंद सांखला, उप सचिव श्रीमती ज्योति अग्रवाल, संयुक्त संचालक श्री मनीष मिश्र, विधि अधिकारी श्री ताज्जुदीन आसिफ, महाविद्यालय से प्राचार्य डॉ बी.एस. छाबरा, डॉ पत्रम साहू, डॉ मलिका सुर, बड़ी सहित संख्या में छात्र- छात्राओं सहित प्रबुद्धजन जुड़े हुए थे