नई-दिल्ली 08-02-2021, दिल्ली हाट में आयोजित आदि महोत्सव में देश की समृद्धि जनजातीय संस्कृति की झलक लेने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। ‘जनजातीय भारत आदि महोत्सव’ का सबसे बड़ा आकर्षण यहां आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम हैं, जिसमें भारतीय जनजातीय समुदायों की विविधता और क़िस्मों का प्रदर्शन देखने को मिलता है। इस आयोजन में देशभर की सुंदर आदिवासी बुनाई का लोगों ने प्रदर्शन देखा जो साड़ी से लेकर कुर्तों, टॉप्स, शॉल, स्टोल्स आदि में परिलक्षित था। इसके अलावा पूर्वोत्तर के अति सुंदर आभूषण या ढोकरा आभूषण तथा बंजारा बैग जैसे अन्य उत्पादों ने भी दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया। आदि महोत्सव ने हमारे जनजातीय समूह कला, हस्तशिल्प और समृद्धि तथा विविधतापूर्ण सांस्कृतिक विरासत का प्रदर्शन किया। आदिवासी समूहों की प्रकृति के साथ निकटता का परिचय और उनकी सादगी का प्रमाण उनकी बुनाई, उनके कपड़ों और कला के स्वरूपों में साफ-साफ देखा जा सकता है। आयोजन के अवसर पर ट्राईफेड के प्रबंध निदेशक प्रवीण कृष्णा ने कहा कि मैं इस बात को लेकर प्रसन्नता अनुभव करता हूं कि ट्राईफेड जनजातीय संस्कृति को बड़े पैमाने पर लोगों के बीच लोकप्रिय कराने के प्रयास में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहा है। आदि महोत्सव में आने वाले लोगों ने न सिर्फ सांस्कृतिक आयोजनों का आनंद उठाया बल्कि आदिवासियों द्वारा तैयार किए गए विभिन्न उत्पाद भी खरीदें, जिसमें हस्तशिल्प उत्पाद शामिल हैं। कपड़े, ज्वेलरी और ऑर्गेनिक प्राकृतिक उत्पाद यहाँ आने वाले दर्शकों को विशेष रूप से आकर्षित कर रहे हैं। आदि महोत्सव का दौरा कीजिए और ‘वोकल फॉर लोकल’ आंदोलन को बल दीजिए। एक पखवाड़े तक चलने वाले इस आयोजन में जनजातीय हस्तशिल्प, कला, पेंटिंग, वस्त्र, आभूषण और बहुत कुछ के प्रदर्शन और बिक्री का अवसर होता है। इस आयोजन में 200 से भी अधिक स्टॉल लगाए गए हैं और देश भर से लगभग 1000 से अधिक जनजातीय हस्तशिल्पी और कलाकार इस आयोजन में हिस्सा ले रहे हैं। जनजातीय मामले मंत्रालय के अंतर्गत काम करने वाला भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास परिसंघ-ट्राईफेड, जनजातियों के सशक्तिकरण के लिए नोडल एजेंसी के रूप में काम करता है और जनजातियों को सशक्त करने तथा आय बढ़ाकर उनके जीवन को बेहतर करने के साथ-साथ जनजातीय समूहों की जीवन शैली तथा उनकी परंपराओं के संरक्षण में मदद करता है। आदि महोत्सव इसी तरह की एक पहल है, जो जनजातीय समूहों के आर्थिक कल्याण में उनकी सहायता करता है और उन्हें मुख्यधारा के विकास के और करीब ले आता है।
आदि महोत्सव में देश की समृद्धि जनजातीय संस्कृति की झलक
जनजातीय भारत आदि महोत्सव में रीना ढाका और रुमा देवी के डिजाइन किए गए जनजातीय फैशन का दिखा प्रदर्शन