रीट परीक्षा- 2020 को लेकर बड़ी खबर सामने आई है. राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने रीट परीक्षा के लेवल फर्स्ट (First level) में बीएड धारकों को शामिल करने के निर्देश दिये हैं.
राजस्थान हाई कोर्ट से बीएड धारकों को बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने बीएड धारकों को रीट परीक्षा -2020 (REET Exam) के फर्स्ट लेवल में फॉर्म भरने की छूट देने के निर्देश दिये हैं. यह अंतरिम आदेश शुक्रवार को सीजे इंद्रजीत माहंती की खण्डपीठ ने सुमन व अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिया.
याचिकाओं में कहा गया था कि राज्य सरकार ने रीट भर्ती 2020 में फर्स्ट लेवल से बीएड धारकों को बाहर करते हुए केवल बीएसटीसी धारकों को ही पात्र माना है जो कि पूरी तरह से गलत है. क्योंकि बीएड धारक बीएसटीसी योग्यताधारियों से उच्च योग्यता रखते हैं. ऐसे में उच्चयोग्यता धारियों को इससे बाहर नहीं किया जा सकता है. कोर्ट ने बीएड धारकों को फर्स्ट लेवल में फॉर्म भरने की छूट देते हुए कहा है कि याचिकाकर्ताओं का परिणाम याचिका के अधीन रहेगा.
फॉर्म भरने की अंतिम तिथि गुरुवार रात 12 बजे तक थी
माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की विज्ञप्ति के अनुसार रीट भर्ती के लिए फॉर्म भरने की अंतिम तिथि गुरुवार रात 12 बजे तक थी. ऐसे में सुनवाई के दौरान कोर्ट में एजी एमएस सिंघवी ने कहा कि बोर्ड ने आवेदन की तिथि 19 फरवरी कर दी है. ऐसे मे कोई भी अभ्यर्थी जिन्होंने फॉर्म नहीं भरा है वो आवदेन कर सकता है. इस पर कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को 19 फरवरी तक फर्स्ट लेवल में आवेदन करने की छूट देने के निर्देश दिये
सरकार ने संशोधित गाइडलाइन को नहीं किया लागू
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता रघुनंदन शर्मा, रामप्रताप सैनी व अन्य ने पैरवी करते हुए कहा कि एनसीटीई ने फरवरी 2018 में अपनी 23 अगस्त 2010 की गाइडलाइन को संशोधित करते हुए अध्यापक पात्रता परीक्षा के फर्स्ट लेवल में बीएड धारकों को भी शामिल किया था. लेकिन सरकार ने इस संशोधित गाइडलाइन को नजरअंदाज करते हुए एनसीटीई की 23 अगस्त 2010 की गाइडलाइन के अनुसार विज्ञप्ति जारी कर दी जो कि पूरी तरह से गलत है. क्योंकि रीट भर्ती एनसीटीई की वर्तमान गाइडलाइन के अनुसार ही आयोजित हो सकती है.
बहस में ये तर्क भी दिये गये
वर्तमान में एनसीटीई की गाइडलाइन कहती है कि भर्ती परीक्षा में बीएड धारक दोनों लेवल के लिए आवेदन कर सकते हैं. वहीं आरटीई कानून भी कहता है कि बच्चों को उच्चस्तरीय व गुणवत्ता युक्त शिक्षा से वंचित नहीं किया जा सकता है. लेकिन रीट लेवल फर्स्ट में बीएड धारकों व उच्च योग्यता वालों को शामिल नहीं करना संविधान के प्रावधानों के अनुसार गलत है.