दक्षिण कोरिया से हिंदी प्रेमियों को निराश कर देने वाले खबर सामने आई है। वहां हिंदी भाषा न पढ़ाने को लेकर एक फैसले पर विवाद शुरू हो गया है। दक्षिण कोरिया में हिंदी भाषा पाठ्यक्रम को बंद करने की आहट से वहां के विद्यार्थियों में गहरी नाराजगी है। वहां के हिंदी प्रेमी छात्रों ने हिंदी भाषा पाठ्यक्रम के वजूद को बचाने के लिए संघर्ष भी शुरू कर दिया है। हालांकि, कोरोना महामारी के कारण यह संघर्ष अभी सोशल मीडिया पर ही चल रहा है।
दरअसल, हम बात कर रहे हैं दक्षिण कोरिया के शीर्ष विश्वविद्यालयों में से एक बुसान यूनिवर्सिटी ऑफ फॉरेन स्टडीज (बीयूएफएस) की। इस विश्वविद्यालय में हिंदी भाषा विभाग 1983 में शुरू हुआ था। इससे पहले वहां 1972 में हनुक यूनिवर्सिटी ऑफ फॉरेन स्टडीज में हिंदी भाषा विभाग की स्थापना की गई थी। लेकिन हाल ही में बुसान यूनिवर्सिटी द्वारा हिंदी भाषा के शिक्षण को बंद करने का निर्णय किया गया है। इसके पीछे हवाला दिया गया है कि भारत में नौकरी करने, अध्ययन करने और भारत की यात्रा में रुचि रखने वाले कोरियाई नागरिकों के लिए अंग्रेजी का ज्ञान ही पर्याप्त होगा। इसके लिए उन्हें अलग से हिंदी सीखने या पढ़ाने की आवश्यकता नहीं है।
इसके खिलाफ वहां के विद्यार्थियों ने विरोध-प्रदर्शन भी शुरू किया है। कुछ छात्रों ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी वीडियो संदेश भेजकर इस संबंध हस्तक्षेप का आग्रह किया है। छात्र चाहते हैं कि विश्वविद्यालय में हिंदी भाषा पाठ्यक्रम जारी रहें। प्रदर्शनकारी छात्रों ने दक्षिण कोरिया में भारत के दूतावास और हस्तक्षेप के लिए सियोल में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) की शाखा में अपनी शिकायतें दर्ज कराईं हैं। दूतावास ने भी यह मामला संबंधित कोरियाई शिक्षा विभाग के साथ उठाया है।
गौरतलब है कि दक्षिण कोरिया में बुसान यूनिवर्सिटी ऑफ फॉरेन स्टडीज और हनुक यूनिवर्सिटी ऑफ फॉरेन स्टडीज ऐसे दो उच्च शिक्षा हैं जहां हिंदी को पूर्णकालिक विषय के रूप में पढ़ाया जाता है। स्नातक छात्रों के लिए और भारतीय भाषाओं, संस्कृति और व्यवसाय के अध्ययन के लिए समर्पित शोध के साथ ये दक्षिण कोरिया के सबसे पुराने संस्थान हैं। बीयूएफएस में हर साल लगभग 50-55 छात्र हिंदी कोर्स में दाखिला लेते थे, लेकिन इस बार यह संख्या घटकर 35 रह गई है। विश्वविद्यालय में तीन संकाय सदस्यों द्वारा हिंदी भाषा पढ़ाई जाती है, जिनमें से दो अनुबंध पर काम करने वाले भारतीय नागरिक हैं।
हालांकि, यह विचारणीय है कि जहां एक ओर दक्षिण कोरिया के विश्वविद्यालय हिंदी भाषा पाठ्यक्रम बंद करने पर तुले हैं, वहीं दूसरी ओर भारत सरकार देश की स्कूल शिक्षा पाठ्यक्रम में कोरियाई भाषा को बढ़ावा देने पर जोर दे रहा है। हिंदी भाषा कार्यक्रम को लेकर यह एक नई बहस को जन्म दे सकता है। करीब चार महीने पहले भारत सरकार ने देश में माध्यमिक स्कूल स्तर पर पढ़ाई जाने वाली विदेशी भाषाओं में कोरियाई भाषा की पेशकश करने को लेकर घोषणा की थी।