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संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए दिया जाएगा हर संभव सहयोग : मुख्यमंत्री श्री बघेल

संस्कृत विद्वानों और मेधावी विद्यार्थियों का सम्मान

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रायपुर,19/2: माघ पूर्णिमा के अवसर पर छत्तीसगढ़ संस्कृत विद्या मंडलम् द्वारा आयोजित संस्कृत विद्वानों और मेधावी छात्र-छात्राओं के सम्मान समारोह को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए राज्य शासन स्तर पर हर संभव सहयोग दिया जाएगा, इस अवसर पर उन्होंने कहा कि हमारे वेद, पुराण और गीता आदि देवभाषा संस्कृत में लिखे गए हैं, हमें अपनी जड़ों को नहीं भूलना चाहिए। छत्तीसगढ़ में संस्कृत के विद्वान और विद्यार्थी इस भाषा के विकास और इसे पुष्पित-पल्लवित करने का काम कर रहे हैं, उन्होंने गहिरा गुरू आश्रम के संबंध में कहा कि यहां मिलने वाले संस्कार अतुलनीय और अनुकरणीय है। उन्होंने अखिल भारतीय स्तर पर संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए कार्यरत संस्था “संस्कृत भारती” को राष्ट्रीय स्तर के महर्षि वेदव्यास सम्मान से सम्मानित किया, उन्होंने चार संस्कृत विद्वानों को राज्य स्तरीय पुरस्कारों से सम्मानित किया, इनमें डॉ. कुमुद कोन्हे को महर्षि वाल्मिकी सम्मान, डॉ. कल्पना द्विवेदी को माता कौशल्या सम्मान, लक्ष्मीकांत पण्डा को ऋष्यश्रृंग सम्मान और श्री बालगोविंद यादव को लोमश ऋषि सम्मान से विभूषित किया। महर्षि वेदब्यास सम्मान के रूप में 51 हजार रूपए राशि का चेक और प्रशस्ति पत्र तथा चार राज्य स्तरीय पुरस्कारों से सम्मानित विद्वानों को 31-31 हजार रूपए का चेक और प्रशस्ति पत्र, शॉल एवं श्रीफल प्रदान कर सम्मानित किया गया। मुख्यमंत्री ने प्रावीण्य सूची में आए 11 विद्यार्थियों को तीन हजार एक रूपए और प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित किया। जिन बच्चों को सम्मानित किया गया, उनमें कुमारी सरला त्रिपाठी, कुमारी मंगलेश्वरी सांडिल्य, कुमारी रम्भा यादव, उमेश कुमार निषाद, प्रियांशु, अंजू पैंकरा, मनोहर देवांगन, पार्वती, लीमावती, कुमारी देवंती, तोमेश साहू और मीना शामिल हैं। कार्यक्रम में स्कूल शिक्षा मंत्री और छत्तीसगढ़ विद्यामंडलम् के अध्यक्ष डॉ. प्रेम साय सिंह टेकाम, विधायक चिन्तामणि महाराज और पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. के.एल.वर्मा विशेष अतिथि, संचालक लोकशिक्षण एस. प्रकाश सहित संस्कृत के अनेक विद्वान और प्रबुद्ध नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

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