नई-दिल्ली, 10-07 : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति मून की संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में श्री मोदी ने इस आशय से कहा कि मै राष्ट्रपति मून से हैम्बर्ग में जी-समिट 20 के समय मिला था और उस समय मैंने उन्हें भारत आने का निमंत्रण दिया था, पूरा विश्व कोरियाई प्रायद्वीप में हो रहे घटनाक्रम को बहुत बारीकी से देख रहा है, ऐसे में, उन्होंने अपने व्यस्त कार्यक्रमों के बीच भारत की यात्रा के लिए समय निकाला है और इसलिए, मैं उनका विशेष रूप से अभिनंदन करता हूँ। शायद कम ही लोग जानते हैं कि भारत और कोरिया का संबंध एक प्रकार से पारिवारिक संबंध है, सदियों पहले अयोध्या की एक राजकुमारी, प्रिंसेस सूरी-रत्ना, की शादी कोरिया के राजा से हुई थी और आपको जान कर आश्चर्य होगा, कि आज भी कोरिया में लाखों लोग अपने आप को उनका वंशज मानते हैं। आधुनिक काल में भी, भारत और कोरिया का मजबूत संबंध रहा है। कोरिया में युद्ध के समय, भारत की पेराशूट फील्ड एम्बुलेंस के काम की सराहना आज भी होती है। कोरिया गणराज्य की आर्थिक और सामाजिक प्रगति विश्व में अपने आप में एक अनूठा उदाहरण है, कोरिया की यह प्रगति भारत के लिए भी प्रेरणादायक है और यह बहुत प्रसन्नता का विषय है कि कोरिया की कंपनियों ने भारत में न सिर्फ़ बड़े स्तर पर निवेश किया है, बल्कि हमारे मेक इन इंडिया से जुड़ कर भारत में रोजगार के अवसर भी पैदा किया है। आज की हमारी बातचीत में हमने न सिर्फ़ अपने द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर अपने विचार भी खुल कर साझा किए। कोरियाई प्रायद्वीप की शांति प्रक्रिया को गति देने का, उसे दिशा पर रखने का, और उसमें प्रगति का, पूरा श्रेय राष्ट्रपति मून को जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि मैं मानता हूँ कि जो सकारात्मक वातावरण बना है, वह राष्ट्रपति मून के ही अथक प्रयासों का परिणाम है, मैं राष्ट्रपति मून, उनकी धर्म पत्नी और शिष्ठमंडल के सभी प्रतिनिधियों का भारत में हार्दिक स्वागत करता हूँ।