भोपाल, प्रदेश में उद्यानिकी फसलें किसानों की खेती की आमदनी को दोगुना करने के मकसद को सफल बना रही हैं। कृषि और उद्यानिकी विभाग का मैदानी अमला किसानों की मदद कर रहा है उन्हें निरंतर प्रोत्साहित कर रहा है, शासकीय योजनाओं के फायदे मुहैया करवा रहा है। भिण्ड जिले के फूप क्षेत्र के किसान राधकृष्ण दीक्षित अपनी दो बीघा जमीन में फूलों की खेती के साथ सब्जियां भी उगा रहे है। उद्यानिकी फसलों से उन्हें वर्ष भर में 3 लाख रुपये की अतिरिक्त आमदनी हो रही है। पूर्व में राधाकृष्ण अपने खेत में परम्परागत खेती करते आ रहे थे। उन्होंने अपनी कृषि आय को बढ़ाने के संबंध में उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों से जनसम्पर्क किया, तो उन्हें फूलों की खेती करने के लिये खेत में पॉलीहाऊस बनाने की जानकारी मिली। उद्यानिकी विभाग की आर्थिक मदद से कृषक राधाकृष्ण ने पॉलीहाउस बनवाया। इसके लिये उन्हें 7 लाख 70 हजार रुपये की अनुदान राशि भी मिली। आज वे पॉलीहाऊस में जरवेरा, सेवंती, गेंदा, टमाटर सहित अन्य उद्यानिकी फसलें लगा रहे हैं। उन्होंने फूलों की खेती के लिये खाद, बीज की व्यवस्था ऑनलाइन की है। उनके खेत के फूल ग्वालियर, आगरा, दिल्ली और इटावा की मंडियों में बिक रहे हैं। कृषक राधाकृष्ण को ग्वालियर में कृषि विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित पुष्प प्रदर्शनी में फूलों के बेहतर प्रदर्शन के लिए द्वितीय ईनाम भी मिल चुका है। छिन्दवाड़ा जिले के परासिया विकासखंड के ग्राम कुंडालीकला के किसान एकनाथ ठाकरे उद्यानिकी फसल को अपनाकर अच्छा-खासा मुनाफा कमा रहे हैं। इनके पास एक हैक्टेयर भूमि है, जिसमें वे उद्यानिकी फसल लेते हैं। उन्होंने अपने खेत में ड्रिप संयंत्र लगवाया है। उन्होंने ड्रिप सिस्टम, मल्चिंग और मंडप बनाकर दो एकड़ रकबे में 2 लाख की लागत से करेला की फसल लगाई, तो उन्हें डेढ़ सौ क्विंटल करेला उत्पादन प्राप्त हुआ। उन्हें अब उम्मीद है कि करीब 140 क्विंटल करेले का और उत्पादन प्राप्त होगा। किसान एकनाथ कहते हैं कि उन्हें औसतन 12 रुपये प्रति-किलो की दर से करेले का विक्रय मूल्य मिलेगा। लागत घटाने के बाद उन्हें 2 एकड़ भूमि पर करीब 4 लाख 25 हजार रुपये का शुद्ध मुनाफा होगा। एकनाथ सही मायनों में उद्यानिकी फसलों को अपनाकर ही अपनी आय बढ़ा रहे हैं।