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भवनों और सड़कों को बाधा रहित बनाने पर जोर – संजय अलंग

सुगम्य भारत अभियान के तहत ‘सुगम्य ऑडिट’ विषय पर रायपुर में दो दिवसीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला

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रायपुर(छ.ग.)/09-05 : समाज कल्याण विभाग द्वारा सुगम्य भारत अभियान के तहत “सुगम्य ऑडिट” विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया है, पहले दिन की कार्यशाला में बस्तर और सरगुजा संभाग के सभी जिलों से लोक निर्माण विभाग, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा से सिविल इंजीनियर और समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों और स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिभागियों को सुगम्य भारत अभियान के तहत “सुगम्य ऑडिट” विषय पर दिल्ली के स्वयंसेवी संस्थान सामर्थ्यम से आयी अंजली अग्रवाल और देवव्रत चक्रवर्ती द्वारा प्रशिक्षण दिया गया, समाज कल्याण विभाग के संचालक डॉ संजय अलंग ने प्रथम सत्र को संबोधित करते हुए विषय की बारिकियों पर चर्चा की, कार्यशाला के पहले सत्र में समाज कल्याण विभाग के संचालक संजय अलंग ने प्रतिभागियों को संबोधित कर सुगम्य भारत के तहत “सुगम्य ऑडिट” की बारिकियों पर चर्चा की, उन्होंने कहा कि सुगम्यता की ओर हमारा पहला कदम समाज में दिव्यांगों का समावेशन है। दिव्यांगजन हमारे समाज का अभिन्न हिस्सा हैं, हम सबको मिलकर उनके लिए एक ऐसा वातावरण तैयार करना है कि वे बिना किसी हिचक के बिना किसी परेशानी के आत्म विश्वास के साथ उठ बैठ सकें, विभिन्न क्रिया कलापों में शामिल हो सकें, उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि हमारा यह भी कर्तव्य है कि हम उन लोगों की सोच और व्यवहार में परिवर्तन लाने का प्रयास करें जो दिव्यांगों को खुद से अलग समझते हैं। हर परिवर्तन को स्वीकार और आत्मसात करने में समाज को समय लगता है इसलिए धैर्य का होना बहुत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि इस दो दिवसीय कार्यशाला एवं प्रशिक्षण में आये सभी प्रतिभागी धैर्य पूर्वक सुगम्य ऑडिट की बारीकियों को समझे और अपने जिलों में अपने कार्यक्षेत्र में इस्तेमाल करें। श्री अलंग ने कहा कि सुगम्यता की आवश्यकता केवल दिव्यांगों को नहीं है, बल्कि छोटे बच्चों और बुजुर्गों को भी है। उन्होंने प्रशिक्षण में शामिल इंजीनियरों से कहा कि शासकीय ईमारतों, सड़कों, बैंकों, शौचालयों, सड़कों के नक्शे पास करने से पहले सुगम्यता के सभी मापदंडों का पालन हो। इसी तरह अन्य छोटी छोटी बातें जैसे बिजली के स्विच, सीढ़ियों के निर्माण में भी छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना जरूरी है। प्रशिक्षण के दौरान स्वयंसेवी संस्था सामर्थयम से आई अंजली अग्रवाल ने प्रशिक्षकों को दिव्यांग जनों की परेशानी का आभास करने के लिए एक प्रायोगिक सत्र का आयोजन किया, जिसमें उन्हें व्हीलचेयर और छड़ी लेकर दैनिक गतिविधियां करने को कहा गया। प्रतिभागियों ने इस प्रयोग में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और दिव्यांगजनों की व्यवहारिक दिक्कतों को समझा। अंजली अग्रवाल ने प्रतिभागियों को राष्ट्रीय सड़क भवन निर्माण संहिता, राष्ट्रीय मानक ब्यूरो एवं निःशक्तजनों तथा बुजुर्गों के लिए सामंजस्यपूर्ण और बाधा रहित वातावरण निर्मित करने के लिए शहरी विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा निर्मित दिशा-निर्देशों की विस्तृत जानकारी दी गई। कार्यशाला में प्रतिभागियों को बताया गया कि किसी भी सार्वजनिक भवन और सड़क के निर्माण के नक्शे पास करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखा जाना आवश्यक है। फुटपाथ, रैम्प, शौचालय, दरवाजे जैसी छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखा जाना आवश्यक है, जिससे बुजुर्गों और दिव्यांगजनों के लिए सुगम्य आवागमन और सुगम्य वातावरण तैयार किया जा सके।

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