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किसानों की आमदनी दोगुना करने में वनौषधियों की खेती और वनोपजों का होगा महत्वपूर्ण योगदान: डॉ. रमन सिंह

औषधीय एवं सुगंधित फसलों में उद्यमिता विकास पर राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारम्भ।

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रायपुर, (छ.ग, 07-03), इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर द्वारा औषधीय सुगंधित फसलें एवं अकाष्ठीय वनोपज के माध्यम से उद्यमिता विकास’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के शुभारम्भ अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि किसानों की आमदनी दोगुना करने में वनौषधियों की खेती और वनोपजों का महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है, इसके लिए वनौषधियों की खेती और वनोपजों के उत्पादन को बढ़ावा देने तथा किसानों और वनवासियों को इससे जोड़ने की जरुरत है, इस कार्य में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, कृषि महाविद्यालयों, कृषि विज्ञान केन्द्रों, कृषि वैज्ञानिकों, विद्यार्थियों तथा कृषि विभाग के मैदानी अमले की महत्वपूर्ण भूमिका होगी, उन्होंने कहा कि आज दुनिया में वनौषधियों का व्यापार लगभग 20 प्रतिशत वृद्धि दर के साथ बढ़ रहा है। छत्तीसगढ़ की समृद्ध वन संपदा और जैवविविधता के कारण इस में बड़ी भागीदारी हमारे प्रदेश की हो सकती है। इस अवसर पर विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित स्मारिका का विमोचन भी मुख्यमंत्री ने किया, राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, कृषि एवं जैव प्रौद्योगिकी विभाग और लघु उद्योग भारती छत्तीसगढ़ के सहयोग से किया गया है। कार्यशाला में गुंडाधूर कृषि महाविद्यालय कांकेर के विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल, ट्राफी और प्रमाण पत्र प्रदान करके सम्मानित किया, इन विद्यार्थियों ने रांची में आयोजित कृषि विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों की स्पर्धा में फोक बैंड की प्रस्तुति देकर गोल्ड मैडल जीता था, इस अवसर पर संसदीय सचिव तोखन साहू, छत्तीसगढ़ राज्य वनौषधि एवं पादप बोर्ड के अध्यक्ष रामप्रताप सिंह, मुख्य सचिव अजय सिंह, अपर मुख्य सचिव एवं कृषि उत्पादन आयुक्त सुनील कुमार कुजूर तथा इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एस.के.पाटील उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने इसके पहले कैम्पा मद से निर्मित औषधीय एवं सुगंधित पौधे तथा अकाष्ठीय वनोपज उत्कृष्टता केन्द्र का लोकार्पण, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के नवीन प्रशासनिक भवन का भूमिपूजन और स्वामी विवेकानंद कृषि अभियांत्रिकी महाविद्यालय के दो नवनिर्मित छात्रावास भवनों का लोकार्पण किया। इस दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के आयोजन का मुख्य उद्देश्य छत्तीसगढ़ राज्य में उपलब्ध प्रचुर वन संपदा, सुगंधित फसलों एवं औषधीय एवं अकाष्ठीय वनोपज के माध्यम से उद्यमिता विकास को बढ़ावा देना है, इसके लिए कृषकों एवं छोटे उद्यमियों को आवश्यक तकनीकी मार्गदर्शन एवं सुनिश्चित बाजार उपलब्ध कराना और उन्हें उद्यमिता विकास के लिए प्रेरित एवं प्रोत्साहित करना है, इस दो दिवसीय कार्यशाला में राष्ट्रीय स्तर के ख्यातिप्राप्त संस्थानों जैसे केन्द्रीय औषधीय एवं सुगंध पौध संस्थान लखनऊ, भारतीय वन प्रबंध संस्थान भोपाल, प्राकृतिक राल एवं गोंद संस्थान रांची, वन अनुसंधान संस्थान देहरादून, भारतीय समवेत औषध संस्थान जम्मू, सुगंध एवं सुरस विकास केन्द्र कन्नौज आदि के वैज्ञानिक तथा विशेषज्ञ, उद्योगपति, निर्माता और व्यापारी, किसान विश्वविद्यालय के शिक्षक तथा विद्यार्थी इस अवसर पर उपस्थित थे। डॉ सिंह ने सुगंधित फसलों औषधीय एवं अकाष्ठीय वनोपज के माध्यम से उद्यमिता विकास पर केन्द्रित प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया।

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