अब स्लीपर वंदे भारत का सपना भी जल्द ही पूरा हो जाएगा. इसके लिए एक रूसी कंपनी को ठेका दिया गया है. TMH-RVNL नामक इस कंपनी ने सबसे कम बोली लगाकर टेंडर को जीता है. बता दें कि इसमें TMH एक रूसी कंपनी है लेकिन RVNL (रेल विकास निगम लिमिटेड) भारतीय रेलवे की ही एक इकाई है.यह एक ट्रेन 120 करोड़ रुपये में बनाकर देगी.
कंपनी को 120 रैक्स बनाने का ठेका मिला है जिसके लिए महाराष्ट्र के लातूर में जरूरी तैयारियां शुरू कर दी गई हैं. वहीं, इनका निर्माण किया जाएगा. रेलवे के अनुसार, लेटर ऑफ अवॉर्ड (LOA) जारी कर दिया गया है. टेंडर जीतने की इस रेस में दूसरे नंबर में BHEL-Titagarh का गठबंधन रहा. टीटागढ़ वैगन्स को पुणे मेट्रो के लिए एल्यूमीनियम ट्रेन बनाने के लिए जाना जाता है. यह कंपनी विदेशों में भी ट्रेनों का निर्यात करती है. इस कंसोर्टियम ने प्रति ट्रेन करीब 140 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी.
कब तक बन जाएगी ट्रेन
अभी इस बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है कि कब तक पहली स्लीपर वंदे भारत बनकर तैयार हो जाएगी. बोली जीतने वाली कंपनी ने इसके लिए 200 करोड़ रुपये गारंटी बॉन्ड के तौर पर जमा कर दिए. इस पूरे प्रोजेक्ट की कीमत करीब 50,000 करोड़ रुपये है. टेंडर जीतने वाली कंपनी 35 साल के लिए वंदे भारत की देखरेख का काम भी करेगी.
कैसी होगी स्लीपर वंदे भारत
स्लीपर वंगे भारत में एक फर्स्ट एसी, 3 सैकेंड एसी और 11 थर्ड एसी वाले कोच लगाए जाएंगे. गाड़ी का पहला और आखिरी डिब्बा दिव्यांगों को भी ध्यान में रखकर बनाया जाएगा ताकि उन्हें ट्रेन से चढ़ने उतरने में कोई परेशानी न हो. गौरतलब है कि अभी तक जो वंदे भारत ट्रेनें चलाई जा रही हैं उनमें केवल बैठने की व्यवस्था है.