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सबका साथ सबका विकास पीएम मोदी के लिए महज नारा नहीं, इस पर काम भी हो रहा है

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सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के एजेंडे के साथ पीएम मोदी का लास्ट माइल डिलीवरी का सपना पूरा होता नजर आ रहा है. पीएम मोदी ने 2014 में सत्ता संभालने के बाद ही ऐलान कर दिया था कि वंचित समाज को वरियता दी जाएगी. फिर चाहे घर घर- शौचालयों का निर्माण हो या फिर उज्जवला के तहत दूर दराज के गांवो मे महिलाओं को एलपीजी सीलिंडर पहुंचाना, या फिर एक क्लिक से हर किसान, गरीब के खाते में पैसा डालना हो सबसे पहले वंचित वर्ग को लाभ दिया गया. यही नहीं कोरोना काल में 80 करोड से ज्यादा गरीबों को मुफ्त राशन देने के दौरान भी पूरी मोदी सरकार के ऐजेंडा पर ही गरीबों और वंचित समाज ही रहा है. पीएम मोदी ने बार बार ये भी साफ किया है कि गरीबों और वंचितों में सिर्फ एक वर्ग या समुदाय नहीं बल्कि देश का हर गरीब है चाहे वो किसी भी जाति, धर्म या संप्रदाय का क्यों न हो. यही माद्दा है जो पीएम मोदी की लोकप्रियता को और बढा रहा है.

गुजरात चुनावों के बाद जनवरी मे हुई बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी को संबोधित करते हुए पीएम नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि मुस्लिम समुदाय के बोहरा, पसमांदा और पढ़े – लिखे लोगों तक सरकार की नीतियों को लेकर जाना है. पीएम का संदेश था कि बीजपी को समाज के सभी अंगों को अपने साथ जोडना है. 2022 अगस्त में हैदराबाद में आयोजित बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पीएम मोदी ने कहा था कि पसमांदा मुसलमानों के इलाकों में स्नेह-यात्रा शुरु की जाए. पीएम मोदी हमेशा से दलित और वंचित समाज तक सरकारी नीतियों का फायदा पहुंचाने की बात करते रहे हैं. उनके ऐलान का मतलब था कि बीजेपी कार्यकर्ता पसमांदा मुसलमानों के घर-घर जाकर उन्हें पार्टी से जोड़े.

दरअसल, पसमांदा पारसी से लिया हुआ शब्द है, जिसका मतलब है समाज में पीछे छूट गए लोग. भारत में इन्हीं पिछड़े मुसलमानों को पसमांदा मुसलमान कहा जाता है. भारत में मुस्लिम समाज भी कई जातियों में बंटा है और पसमांदा समाजिक – आर्थिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े हैं. इस समुदाय की कुछ जातियां बहुत पिछड़ी तो हैं, लेकिन अनुसूचित जाति की सूची में शामिल नहीं हैं. एक आंकड़े के मुताबिक अब भारतीय मुसलमानों में पसमांदा समुदाय की आबादी 80 फीसदी के करीब है.

ऐसे में जब पीएम मोदी लास्ट माइल डिलीवरी की बात कर रहे हैं, तो भारत में रहने वाला ये वंचित समाज सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने से अछूता क्यों रहे. इसका असर पिछले दिनों देखा गया, जब मुसलमान बाहुल्य रामपुर विधानसभा की सीट बीजेपी ने जीत ली. पहली बार मिली इस जीत के पीछे बीजेपी नेता मुख्तार अब्बास नकवी का इन्हीं दलितों और पिछडों के साथ महीने भर चला खिचड़ी संवाद था. इसके तहत नकवी हर रोज एक नए मोहल्ले में जाकर वहां सबके साथ मिलकर किसी के घर खिचड़ी बनाते थे और सामुदायिक रूप से खाने का कार्यक्रम होता था. नतीजा पार्टी की जीत हुई. गुजरात विधानसभा चुनाव में भी एक-दो ऐसी सीटें बीजेपी ने जीतीं जो पहले वो कभी नहीं जीत पायीं थी. बीजेपी का ये कार्यक्रम एक सोंची समझी नीति के तहत चल रहा है, ताकि इस वंचित – शोषित पसमांदा समाज देश की मुख्य धारा में जुड़ा रहे.

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