कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने अपनी बजट पूर्व इच्छा सूची में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से जोरदार आग्रह किया है कि जीएसटी कराधान प्रणाली की समीक्षा, खुदरा व्यापार से संबंधित सभी अधिनियमों और नियमों की समीक्षा की जाए. कैट ने घरेलू व्यापार के लिए एक राष्ट्र-एक लाइसेंस नीति, व्यापारियों के लिए प्रभावी पेंशन योजना, उत्तर प्रदेश राज्य में लागू योजना के अनुसार व्यापारियों के लिए बीमा योजना, छोटे व्यवसायों के लिए अलग क्रेडिट रेटिंग मानदंड, बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों द्वारा व्यापारियों को वित्त की आसान पहुंच, व्यवसायों में आपसी भुगतान तथा आयकर अधिनियम की धारा 138 के तहत चेक का अनादर जैसे विवादों के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन करने की भी अपील की है. साथ ही देश में स्पेशल ट्रेड जोन के निर्माण, आंतरिक और विदेशी व्यापार दोनों को बढ़ावा देने के लिए देश और दुनिया भर में व्यापार मेलों और भारतीय उत्पादों की प्रदर्शनियों के आयोजन के लिए भी एक नीति बनाने का भी आग्रह किया है.
बने अलग मंत्रालय
कैट ने वित्त मंत्री को व्यापारिक समुदाय के बीच डिजिटल भुगतान को अपनाने और प्रोत्साहित करने के लिए अलग अलग किस्म के इंसेंटिव की घोषणा करने का भी अनुरोध किया है. इसके साथ ही ई-कॉमर्स नियमों को लागू करने, ई-कॉमर्स नीति, ई-कॉमर्स नियामक प्राधिकरण के गठन, खुदरा व्यापार के लिए राष्ट्रीय व्यापार नीति और केंद्र और राज्यों दोनों में आंतरिक व्यापार के लिए एक अलग मंत्रालय की भी मांग की है.
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने “बजट इच्छा सूची” जारी करते हुए कहा कि जीएसटी सबसे जटिल कराधान प्रणाली है और इस प्रणाली को सरल बनाने के लिए इसकी पूर्ण समीक्षा की जरूरत है ताकि इसे व्यापारियों द्वारा सरलता में अनुपालित किया जा सके और सरकार को अधिक राजस्व की प्राप्ति हो सके. देश का खुदरा व्यापार बड़ी संख्या में अधिनियमों और नियमों से भरा हुआ है और उनमें से कई कुछ दशक पुराने हैं और वर्तमान परिदृश्य में अपना महत्व खो चुके हैं और इसलिए ऐसे सभी अधिनियमों और नियमों की समीक्षा की तत्काल आवश्यकता है. ऐसे नियम जो प्रासंगिकता खो चुके हैं उन्हें जरूर निरस्त किया जाना चाहिए.