काफी लंबे समय से रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध पर पूरी दुनिया की नजर बनी हुई है. वहीं इस मुद्दे पर भारत के रूख को लेकर लगातार सवाल किए जाते रहे हैं. यूएन की बैठक के बाद न्यूजीलैंड पहुंचे विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बार फिर रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत के विचार को स्पष्ट किया है. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि भारत ने “अनुरोध” पर काम करते हुए, रूस पर न्यूक्लियर पावर प्लांट की सुरक्षा के लिए दबाव डाला, जो यूक्रेन के साथ देश के चल रहे युद्ध के दौरान युद्ध क्षेत्र के पास था.
न्यूजीलैंड की अपनी पहली यात्रा पर आए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत यूक्रेन संकट के समाधान के लिए जो कुछ भी कर सकता है वह करने को तैयार है. ऑकलैंड में बिजनेस लीडर्स के साथ एक कार्यक्रम में जयशंकर ने कहा कि जब मैं संयुक्त राष्ट्र में था तो सबसे बड़ी चिंता जपोरिज्जिया परामणु संयंत्र को लेकर थी क्योंकि उसके बहुत करीब लड़ाई चल रही थी. हमसे रूस पर इस मुद्दे पर दबाव बनाने का अनुरोध किया गया, जो हमने किया. अलग-अलग समय पर अलग-अलग चिंताएं भी हैं, जिन्हें हमारे समक्ष विभिन्न देशों या संयुक्त राष्ट्र ने उठाया. मैं मानता हूं कि यह वह समय है जब हम जो भी कर सकते हैं, करने को इच्छुक हैं.’’
काफी लंबे समय से रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध पर पूरी दुनिया की नजर बनी हुई है. वहीं इस मुद्दे पर भारत के रूख को लेकर लगातार सवाल किए जाते रहे हैं. यूएन की बैठक के बाद न्यूजीलैंड पहुंचे विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बार फिर रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत के विचार को स्पष्ट किया है. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि भारत ने “अनुरोध” पर काम करते हुए, रूस पर न्यूक्लियर पावर प्लांट की सुरक्षा के लिए दबाव डाला, जो यूक्रेन के साथ देश के चल रहे युद्ध के दौरान युद्ध क्षेत्र के पास था.
न्यूजीलैंड की अपनी पहली यात्रा पर आए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत यूक्रेन संकट के समाधान के लिए जो कुछ भी कर सकता है वह करने को तैयार है. ऑकलैंड में बिजनेस लीडर्स के साथ एक कार्यक्रम में जयशंकर ने कहा कि जब मैं संयुक्त राष्ट्र में था तो सबसे बड़ी चिंता जपोरिज्जिया परामणु संयंत्र को लेकर थी क्योंकि उसके बहुत करीब लड़ाई चल रही थी. हमसे रूस पर इस मुद्दे पर दबाव बनाने का अनुरोध किया गया, जो हमने किया. अलग-अलग समय पर अलग-अलग चिंताएं भी हैं, जिन्हें हमारे समक्ष विभिन्न देशों या संयुक्त राष्ट्र ने उठाया. मैं मानता हूं कि यह वह समय है जब हम जो भी कर सकते हैं, करने को इच्छुक हैं.’’
भारत सुरक्षा परिषद में स्थायी होना चाहिए- एस जयशंकर
उन्होंने कहा कि जब हम वैश्विक व्यवस्था में बदलाव को देखते हैं तो हम स्पष्ट है कि भारत सुरक्षा परिषद में स्थायी होना चाहिए, लेकिन हम मजबूती से यह भी मुद्दा उठाते हैं कि पूरे अफ्रीका महाद्वीप और लातिन अमेरिका का प्रतिनिधित्व् नहीं है. उन्होंने न्यूजीलैंड से संबंध के बारे में कहा, ‘‘ एकसाथ काम करने के अवसर कहीं अधिक वास्तविक और व्यावहारिक है.’’