रायपुर, माहो कीट के प्रकोप से धान फसल को बचाने सतत निगरानी जरूरी है, इस आशय से कृषि वैज्ञानिकों और कृषि विभाग के अधिकारियों ने खरीफ मौसम की धान फसल में कहीं-कहीं माहो बीमारी की शिकायत मिलने पर किसानों को फसल की सतत निगरानी करने की सलाह दी है। कृषि वैज्ञानिकों द्वारा जारी विशेष कृषि बुलेटिन में कहा है कि माहो कीड़ों का प्रकोप दिखाई देने पर नियंत्रण के लिए तत्काल दवाई छिड़कने की जरूरत होती है। यह कहा गया है कि माहो कीड़ों की संख्या 10-15 प्रति पौधा हो जाने पर शुरूआत में ब्युपरोफेजिन 800 मिली लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए, इसके 15 दिन बाद अगर माहो कीट का प्रकोप बढ़ता दिखाई दे तो डाइनेतेफयुरान 200 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 500 लीटर पानी में घोल बनाकर दोपहर बाद धान पौधों के आधे हिस्से में छिड़कना चाहिए। कहीं-कहीं पर धान में पेनिकल माईट का प्रकोप भी दिखाई दे रहा है, इसकी पहचान पौधे व बदरंग दाने तथा तने पर भूरापन देखकर किया जा सकता है। प्रोपिकोनाजोल 2 मिलीलीटर और प्रोफेनोफास 2 मिली लीटर को प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर 500 लीटर घोल प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करने पर पेनिकल माईट पर नियत्रण किया जा सकता है। धान में तना छेदक कीट की निगरानी के लिए फिरोमेनट्रेप के दो से तीन प्रति एकड़ का उपयोग किया जाना चाहिए। इस कीट का प्रकोप पाये जाने पर 8 से 10 फिरोमेनट्रेप का उपयोग इसके नियंत्रण के लिए जरूरी होता है। पीला तना छेदक के कीड़े खेतों में दिखाई देने पर उनके अंडों के समूह सहित धान की पत्तियों को अलग कर नष्ट कर देना चाहिए। पौधों में जहां पर डेड हार्ट बना है उसे खींच कर अलग कर देना जरूरी होता है, ताकि अंदर उपस्थित इल्ली परजीवीकृत होकर नष्ट हो जाएँ।