मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘कारोबारी सुगमता’ की दिशा में अगले साल मार्च तक बड़ी उपलब्धि हो जाएगी. केंद्र सरकार का नेशनल सिंगल विंडो सिस्टम मार्च, 2023 तक सभी राज्यों के साथ काम करना शुरू कर देगा.
सरकार ने सिंगल विंडो सिस्टम की शुरुआत देश में कारोबारी सुगमता (ease of doing business) बढ़ाने के लिए शुरू की है. इसके तहत देश में कहीं भी अपना बिजनेस शुरू करने के लिए अब केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से सभी मंजूरियां एक ही जगह से ली जा सकेंगी. उद्योग संवर्द्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) ने बताया है कि अगले साल मार्च तक सभी राज्य इस सिस्टम से
जुड़ जाएंगे.
एक साल पहले हो चुकी है शुरुआत
DPIIT ने बताया कि नेशनल सिंगल विंडो सिस्टम एक ऐसा वन स्टॉप डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जहां कोई बिजनेस शुरू करने के लिए जरूरी केंद्र और राज्यों की सभी मंजूरियों को लिया जा सकेगा. इस सुविधा की शुरुआत सितंबर, 2021 में हो चुकी है और अभी तक कुल 30 हजार आवेदन मिले हैं. इसमें से 13,764 को मंजूरी प्रदान की जा चुकी है.
अभी तक 15 राज्य हुए शामिल
इस सिस्टम में अभी तक 15 राज्य शामिल हुए हैं. गोआ, गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा, बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और नगालैंड ने सिंगल विंडो सिस्टम को मंजूरी दे दी है. इसके अलावा जम्मू-कश्मीर भी इस सिस्टम का हिस्सा बन चुका है, जबकि हरियाणा, झारखंड, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा और अंडमान निकोबार भी इस महीने सिस्टम से जुड़ जाएंगे.
राजस्थान, सिक्किम और चंडीगढ़ व दादर नगर हवेली, दमन दीव भी दिसंबर तक सिंगल विंडो सिस्टम का हिस्सा बन सकते हैं. इसके अलावा केरल, पश्चिम बंगाल, असम, छत्तीसगढ़, मणिपुर, मेघालय, दिल्ली, लद्दाख और लक्ष्यद्वीप अगले साल मार्च तक इस सिस्टम से जुड़ सकते हैं. विभाग ने बताया कि इस मार्च, 2023 तक इस विंडो से देश के किसी भी राज्य की ओर से मंजूरी ली जा सकेगी.
कितनी तरह की मंजूरी मिल सकेगी
इस विंडो के तहत अभी केंद्र सरकार के 24 विभागों से जुड़ी 180 तरह की मंजूरियां ली जा सकती हैं, जबकि DPIIT का उद्देश्य 32 केंद्रीय विभागों से 368 तरह की मंजूरियां इस सिंगल विंडो के जरिये दिलाने का है. 5 सितंबर तक 92,859 यूजर्स ने इस विंडो के जरिये मिलने वाले अप्रूवल की जानकारी ली है. इसमें केंद्र से जुड़े 500 अप्रूवल और राज्यों के 2,500 अप्रूवल शामिल हैं. इसमें व्हीकल स्क्रेपेज पॉलिसी का भी लाभ उठाया जा सकता है.