छत्तीसगढ़ में पहली बार हार्ट, किडनी और लिवर समेत क्रिटिकल केयर से जुड़ी हाई एंड मेडिसिन (महंगी दवाइयां) भी जल्दी ही सरकारी अस्पतालों में मिलने लगेंगी। इन बीमारियों की दवाइयां आम लोगों के लिए बड़ा आर्थिक बोझ हैं, इसे कम करने के लिए ही सरकार के निर्देश पर दवा खरीदी करने वाली सरकारी एजेंसी सीजीएमएससी नया सिस्टम लागू करने जा रही है। यह एजेंसी जल्दी ही 345 से अधिक दवाइयों का नया रेट कांट्रेक्ट करेगी। इसके बाद सरकारी अस्पतालों में जरूरत के मुताबिक ये महंगी दवाएं मरीजों को मिलने लगेंगी।
दरअसल, सरकारी अस्पतालों में क्रिटिकल केयर से जुड़ी महंगी दवाएं उपलब्ध नहीं होने के कारण मरीजों को प्राइवेट दुकानों से ही दवा लेनी पड़ रही है। इसीलिए सीजीएमएससी (छत्तीसगढ़ मेडिकल कार्पोरेशन) ने ऐसी प्रक्रिया बनाई है, जिससे दवा खरीदी में कम समय लगे।
अभी डीएचएस यानी डायरेक्टर हेल्थ सर्विसेस या सरकारी अस्पतालों से दवा की डिमांड आने के बाद खरीदी प्रक्रिया में छह माह लग रहे हैं। क्योंकि केवल दवा या उपकरण खरीदी के टेंडर ही आनलाइन होते हैं, उसके बाद की पूरी प्रक्रिया ऑफलाइन होती है। इसे भी ऑनलाइन करने से टेंडर के बाद तीन माह के अंदर ही दवा खरीद ली जाएगी। इससे अस्पतालों में दवाइयों की सप्लाई नियमित तौर पर बनी रहेगा।
सीजीएमएससी का दवा खरीदी का हिसाब
स्थापना से अब तक दवाएं खरीदी – 2,080 करोड़ रु. से अधिक
अब तक खरीद किए गए कंज्यूमेबल – 586 करोड़ रुपए से अधिक
अब तक हुए दवाइयों के रेट कांट्रेक्ट – 1,086 तरह की दवाइयां
नए रेट कांट्रेक्ट में कितनी शामिल – 345 तरह की नई दवाइयां
अब सेटअप पर फोकस
कोरोनाकाल में सरकारी अस्पतालों में क्रिटिकल केयर के जुड़े सेटअप को मजबूत करने पर फोकस बढ़ाया गया है। इसमें क्रिटिकल केयर से जुड़े उपकरणों, आईसीयू, ऑक्सीजन के साथ मरीजों के इलाज के लिए हाईएंड दवाइयों की जरूरत महसूस की जा रही थी। दवाइयों के नए रेट कांट्रेक्ट में ऐसी दवाइयों को प्राथमिकता में रखा गया है। वहीं हार्ट की बीमारी के इलाज के लिए सरकारी दिल के अस्पताल एसीआई, किडनी लिवर का इलाज करने वाले डीकेएस अस्पताल में ऐसी दवाओं जिनकी जरूरत है, उनको भी नए रेट कांट्रेक्ट में शामिल किया जा रहा है।
खरीदी को हरी झंडी
सरकारी अस्पतालों में पिछले कुछ महीनों से दवाइयों की कमी है। इसे दूर करने हाल ही में स्वास्थ्य मंत्री ने अस्पतालों को जरूरत पड़ने पर लोकल पर्सेच के लिए कहा है। सीजीएमएससी के जरिए दवा खरीदने की प्रक्रिया में कई बार एक साल से अधिक का वक्त लगता था। अब लोकल पर्सेच के लिए सरकारी अस्पतालों को एनओसी मांग आने के बाद तुरंत देनी होगा।
एंटीबायोटिक भी मिलेंगी
नए रेट कांट्रेक्ट के बाद ऐसी महंगी एंटीबायोटिक्स जिनके एक डोज की कीमत एक हजार से साढ़े पांच हजार रुपए तक है, ये भी सरकारी अस्पतालों में मिलेंगी। अभी ज्यादातर सरकारी अस्पतालों में महंगे एंटीबायोटिक्स और दवाओं के लिए मरीजों को प्राइवेट दवा दुकानों के चक्कर लगाने पड़ते हैं।
खरीदी प्रक्रिया बदलेंगे
सरकारी अस्पतालों में दवाइयों की कमी न हो, इसलिए दवा खरीदी प्रक्रिया ही बदली जा रही है। अभी गैरजरूरी तौर पर लंबा वक्त लग रहा है, जो नई प्रक्रिया से कम होगा। गंभीर बीमारियों की महंगी दवाइयां सरकारी अस्पतालों में मिलें, इसलिए नए रेट कांट्रेक्ट भी होंगे। -टीएस सिंहदेव, स्वास्थ्य मंत्री, छत्तीसगढ़