मेरे देश के पढे लिखे नौजवानो
अच्छा या बुरा कोई काम नहीं होता
दिल मे हो अगर लगन सच्ची
हर काम हो जाता है आसान
बच्चा छोटे से ही होता है जवान
ईट से ईट जोडकर ही बनता है मकान
संघर्प करते करते ही मानव बनता है महान
मेरे देष के पढे लिखे नौजवान
बेरोजगारी से अच्छा है छोटा मोटा कोई काम
हम हॅसते जग हॅसता है हम रोते है फिर भी
जग हॅसता है
फिर तू किसकी परवाह करता है
खरगोष और कछुए की दौड मे
अंत विजय कछुए की ही होती है
हिम्मत यदि नही होती उसमे
निष्चित हार उसी की ही थी
पर उसमे लगन सच्ची थी
हारी बाजी जीत गया
धीरे धीरे ही सही पर
मंजिल तक तो पहुंच गया
मंजिल तक तो पहुंच गया ।।