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पीएम मोदी के शासनकाल में देश ही नहीं विदेशों में भी बजा भारतीय चिकित्सा का डंका, इस दौरान हर भारतीय की औसत आयु 10 साल बढ़ गई

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15 अगस्त को भारत अपनी आजादी के 75 साल पूरा कर रहा है. इन 75 सालों में विदेशों में भारत का डंका बजा है. खासकर कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के दौरान पीएम मोदी (PM Modi) के नेतृ्त्व को दुनिया ने सलाम किया है. आज भारत स्वास्थ्य के क्षेत्र (Health Sectors) में विश्व में अपनी क्षमताओं का लोहा मनवा रहा है. पिछले कुछ सालों में स्वास्थ्य के क्षेत्र में दुनिया में भारत की अहमियत खासी बढ़ी है. खासकर कोरोना काल में भारत ने दुनिया के 150 से भी ज्यादा देशों को दवाई और वैक्शीनेशन सप्लाई कर एक रिकॉर्ड बनाया है. वैक्सीन के अलावा भी मास्क, पीपीई किट आदि जरूरी चीजें दुनिया के कई देशों को मदद के तौर पर भेज कर एक संवेदनशील देश होने का फर्ज निभाया. इस दौरान देश के अंदर भी स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्रांति आई है. इस दौरान देश में एम्स का दायरा बढ़ा ही कई रोगों पर विजय भी पाई.

बीते जून महीने में ही पीएम नरेंद्र मोदी के कार्यकाल को 8 साल पूरे हुए हैं. इस 8 साल की उपलब्धियों के बारे में बात करें तो स्वास्थ्य सेवा और इसके इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर के देश में आमूलचूल परिवर्तन देखने को मिला. स्वास्थ्य को लेकर बात करें तो सबसे बड़ी उपलब्धि कोरोना के खिलाफ लड़ाई को मजबूती से लड़ना माना जा सकता है. 30 जनवरी 2020 को केरल में कोरोना वायरस का पहला मामला आया और इस कोरोना वायरस संक्रमण से पहली मौत 12 मार्च, 2020 को कर्नाटक के कलबुर्गी में हुई थी. इसके बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च 2020 से देश में पूर्ण लॉकडाउन लगा दिया और इस महामारी के खिलाफ लड़ाई शुरू कर दी.

विश्व में भारतीय स्वास्थ्य सेवा की अहमियत
महामारी की शुरुआत के कुछ दिनों के बाद ही भारत ने रोजाना 200000 से अधिक पीपीई किट बनाने शुरू कर दिए. अगर बात जनवरी 2020 की करें तो इस समय तक देश में सिर्फ 2,75,000 किट ही उपलब्ध थे और यह सभी आयातित थे. उसके बाद स्थितियां अचानक बदलीं. कोरोना महामारी आने के सिर्फ 60 दिनों के अंदर ही भारत ने जिस तरीके से पीपीई किट बनाने में महारत हासिल की. इसके साथ ही साथ देश में 50,000 से अधिक वेंटिलेटर की व्यवस्था पीएम नरेंद्र मोदी ने सुनिश्चित करवाई.

कोरोना महामारी के दौरान कैसे नेतृत्व किया
पीएम नरेंद्र मोदी मेडिकल फैसिलिटी को मजबूत करने के साथ साथ इस महामारी की वैक्सीन जल्द से जल्द देश में आ जाए, इसकी कवायद जोरों पर थी. इसके तहत भारत बायोटेक और सीरम जैसे कई कंपनियों को भी वैक्सीन के लिए लगातार प्रोत्साहित करते रहे. इसका परिणाम यह हुआ कि इस महामारी के एक साल के भीतर देश में वैक्सीन का निर्माण हो गया.

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