भारत बिजली का खर्च लगातार बढ़ता जा रहा है, फिर चाहे वह घरेलू उपयोग हो या फिर व्यावसायिक उपयोग हो. हालांकि एक अच्छी बात यह भी है कि देश में पैदा हो रही बिजली की जबर्दस्त मांग को पूरा करने की क्षमता भी यहां विकसित हो रही है. काउंसिल ऑन एनर्जी एनवायरनमेंट एंड वॉटर-सीईएफ की हाल ही में जारी की गई हैंडबुक में भारत में बढ़ती बिजली की मांग और उस मांग को पूरा करने के लिए बिजली के बढ़े हुए उत्पादन को लेकर जानकारी दी गई है.
सीईईडब्ल्यू-सीईएफ हैंडबुक के अनुसार, जून 2022 में भारत की अधिकतम बिजली मांग 211.9 गीगावॉट के नए उच्चतम स्तर पर पहुंच गई. मांग का यह वह आंकड़ा है जो इस दौरान पूरी भी की गई. जून के महीने में बिजली की मांग बढ़ने के पीछे लंबे समय तक लू चलने और मानसून आने में देरी एक प्रमुख कारण रही है. यही वजह है कि साल 2022 की पहली तिमाही के सभी महीनों, अप्रैल, मई और जून में 200 गीगावॉट का आंकड़ा पार कर गई. वहीं उत्पादन की बात करें तो वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में कुल उत्पादित बिजली 16 प्रतिशत बढ़ी है. लिहाजा बिजली का उत्पादन 411 अरब किलोवाट-घंटे (केडब्ल्यूएच) हो गया. जबकि पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में बिजली उत्पादन 354 अरब केडब्ल्यूएच था.
जहां तक बिजली उत्पादन की बात करें तो इस तिमाही में गैर-पनबिजली अक्षय ऊर्जा की क्षमता में विस्तार 4.2 गीगावॉट रहा है जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 2.6 गीगावॉट की क्षमता बढ़ोतरी की तुलना में लगभग 61 फीसदी अधिक रहा. इस क्षेत्र में निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ने के अलावा, क्षमता बढ़ोतरी में इस तेज उछाल के लिए पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में लो बेस इफेक्ट को जिम्मेदार बताया जा सकता है, जब कोविड-19 महामारी संबंधी लॉकडाउन के कारण नई क्षमता स्थापित करने पर नकारात्मक असर पड़ा था.
ऊर्जा क्षेत्र की बात करें तो मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 4.3 गीगावॉट बिजली उत्पादन क्षमता जोड़ी गई, जिसमें अक्षय ऊर्जा की हिस्सेदारी 98 प्रतिशत रही. अगर अक्षय ऊर्जा के विस्तार को देखें तो इसमें सौर ऊर्जा का बोलबाला रहा. 4.2 गीगावॉट के कुल अक्षय ऊर्जा क्षमता विस्तार में सौर ऊर्जा का हिस्सा 89 प्रतिशत रहा. इसके लिए आंशिक रूप से ग्रिड-स्केल और रूफटॉप सोलर की मजबूत मांग जिम्मेदार रही हालांकि, पवन ऊर्जा क्षमता में वृद्धि सिर्फ 430 मेगावॉट की रही. नीलाम हुई क्षमता के संदर्भ में बात करें ,तो इस तिमाही में नीलाम हुई 3.15 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा क्षमता का 48 प्रतिशत हिस्सा हाइब्रिड अक्षय ऊर्जा और फ्लोटिंग सोलर जैसे नए खरीद प्रारूपों का रहा