दो साल पहले आया कोरोना वायरस (Corona Virus) अभी भी भारत ही नहीं बल्कि विश्व के ज्यादातर देशों में संक्रमण फैला रहा है. वहीं अब मंकीपॉक्स वायरस (Monkeypox Virus) नाम की बीमारी भी 75 से ज्यादा देशों को प्रभावित कर रही है. हालांकि इन दो सालों में कोरोना के स्वरूप में काफी बदलाव आ चुका है. इस वायरस में लगातार होने वाले म्यूटेशन (Mutation) के चलते अल्फा, बीटा, डेल्टा, डेल्टा प्लस और ओमिक्रोन जैसे वेरिएंट आए हैं. इनमें से कुछ घातक भी सिद्ध हुए हैं. अभी भी कोरोना के ओमिक्रोन वेरिएंट के सब-वेरिएंट जब तब आ रहे हैं और संक्रमित कर रहे हैं. अब चूंकि मंकीपॉक्स भी वायरस है तो एक बड़ा सवाल यह भी है कि कोरोना की तरह क्या मंकीपॉक्स वायरस में भी म्यूटेशन होता है? क्या आने वाले समय में मंकीपॉक्स के भी नए नए वेरिएंट सामने आ सकते हैं?
इन सवालों के जवाब में दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ महेश चंद्र मिश्र न्यूज18 हिंदी से बातचीत में कहते हैं कि कोरोना वायरस और मंकीपॉक्स दोनों ही वायरस से फैलने वाली बीमारी जरूर हैं लेकिन दोनों में ही काफी अंतर है. मंकीपॉक्स एक वायरल जूनोटिक संक्रमण है जो जानवरों से इंसानों में फैल सकता है. यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी फैल सकता है. जबकि कोरोना एक संक्रामक बीमारी है जो SARS-CoV-2 वायरस की वजह से फैलती है. इन दोनों के लक्षणों में भी काफी अंतर है.
डॉ. मिश्र कहते हैं कि मंकीपॉक्स से पीड़ित मरीजों में चार प्रमुख चीजें सामने आती हैं. पहला तेज बुखार आना, शरीर में कहीं भी त्वचा पर पस भरे हुए लाल दाने या चकत्ते पड़ना, थकान व बदन दर्द और लिम्फ नोड्स का सूज जाना. जबकि कोरोना के लक्षण इससे पूरी तरह भिन्न हैं. कोरोना में बुखार आने के अलावा खांसी, गले में कफ का जकड़ना, थकान, सरदर्द, स्वाद और गंध का चले जाना, सांस लेने में तकलीफ लेना, उल्टी और दस्त, ऑक्सीजन स्तर का घट जाने जैसे लक्षण थे.
मंकीपॉक्स में म्यूटेशन होता है या नहीं
डॉ. मिश्र कहते हैं कि जहां तक मंकीपॉक्स वायरस में म्यूटेशन की बात है तो यह समझना जरूरी है कि मंकीपॉक्स का वायरस एक डीएनए वायरस है जिसमें म्यूटेशन बहुत कम देखने को मिलते हैं. मंकीपॉक्स का वायरस अभी तक सिर्फ पश्चिमी अफ्रीका के नाइजीरिया और कांगों में ही मिला है. इनमें भी कांगों में मिला मंकीपॉक्स का वायरस ज्यादा खतरनाक और घातक था. इसकी मृत्यु दर भी काफी ज्यादा थी. वहीं पश्चिमी अफ्रीका के अन्य हिस्सों में यह संक्रामक तो था लेकिन कुछ कम घातक था.
अब चूंकि मंकीपॉक्स में म्यूटेशन बहुत कम देखा गया है तो इस वायरस के स्वरूप में बार बार बदलाव होने और नए नए वेरिएंट सामने आने की संभावना भी काफी कम है. लिहाजा अगर इस वायरस को एक बार नियंत्रित कर लिया जाता है तो उम्मीद है कि यह कोरोना की तरह बार-बार परेशान न करे जैसे कि देखने को मिल रहा है. कोरोना के नए नए वेरिएंट सामने आ रहे हैं. ऐसे में भारत सहित जिन देशों में कोविड के खिलाफ वैक्सीनेशन अच्छा रहा है, वहां तो इससे बहुत खास फर्क नहीं पड़ रहा. कोरोना संक्रमित जरूर कर रहा है लेकिन यह घातक नहीं है लेकिन जिन देशों में वैक्सीनेशन कम है, वहां यह ज्यादा नुकसान पहुंचा रहा है. ऐसे में म्यूटेशन ठीक नहीं है.